उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की नवजात सघन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में 15 नवंबर को लगी आग के मामले में सरकार ने कार्रवाई करते हुए बुधवार को तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को हटा दिया। इस अग्निकांड में अब तक 18 बच्चों की मौत हो चुकी है।राज्य सरकार द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक यह कार्रवाई प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर गठित चार सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है। बयान के मुताबिक कार्रवाई के तहत जांच रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य नरेंद्र सिंह सेंगर को पद से हटाकर उन्हें चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशालय से संबद्ध किया गया है। इसके साथ ही कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहुर को आरोपपत्र देकर जवाब मांगा गया है।इसके अलावा कॉलेज के अवर अभियन्ता (विद्युत) संजीत कुमार, एनआईसीयू वार्ड की नर्सिंग प्रभारी सिस्टर संध्या राय और प्रमुख अधीक्षक सुनीता राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। बयान के अनुसार कॉलेज में बाल रोग विभागाध्यक्ष ओम शंकर चौरसिया, सर्जरी विभाग के सह-आचार्य कुलदीप चंदेल और विद्युत प्रभारी अधिकारी को आरोप पत्र देकर झांसी के मण्डलायुक्त को उनकी भूमिका की जांच सौंपी गयी है।महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में 15 नवंबर को आग लगने से झुलकर 10 बच्चों की मृत्यु हो गई थी और कई बच्चे घायल हुए थे। आग की घटना के बाद बचाए गए 39 नवजात शिशुओं में से सोमवार को एक और बच्चे की मौत हो गई जिसके बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है। मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में 15 नवंबर की रात आग लगने से झुलसने और दम घुटने से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। सूत्रों के मुताबिक, आग लगने की घटना के दौरान बचाए गए 39 बच्चों में से आठ बच्चों की मौत बीमारी के कारण हो गई है।मामले की जांच के लिए उप-मुख्यमंत्री पाठक ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को महानिदेशक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे। पाठक ने कहा कि झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई ह्रदय विदायक घटना को लेकर सरकार बेहद संवेदनशील है और पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराई गई है।