नीतीश को पीएम उम्मीदवार न मानना JDU की रणनीति या मजबूरी? ललन सिंह के बयान की इनसाइड स्टोरी

पटना: कभी लाल किले की प्राचीर के पोस्टर के सामने इफ्तार पार्टी खा रहे थे। कभी केंद्र की राजनीति में जाने की इच्छा जाहिर कर रहे थे। लेकिन अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो’ वाले नारे पर ऐतराज है। मगर कभी इसी नारे पर उनके चेहरे से मंद-मंद मुस्कान छलकती थी। तो कभी इस नारे के बीच खुशी से लोगों का अभिवादन स्वीकार करते नजर आते थे। दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि इससे विपक्षी एकता खतरे में पड़ सकती है। कांग्रेस एमएलसी समीर सिंह ने यह साफ कह दिया है कि ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिर्फ विपक्षी एकता को मजबूत करने वाले एक पार्टी के नेता हैं।’ इस बयान का नतीजा यह हुआ कि ललन सिंह जेडीयू के मिलन समारोह के दौरान ‘नीतीश कुमार पीएम पद के उम्मीदवार नहीं’ तीन बार दोहराने पर मजबूर नजर आए।ललन सिंह बोले- नीतीश कुमार दावेदार नहींजेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष ललन सिंह ने खुले मंच से आज इस बात का ऐलान कर दिया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 में प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं है। ये बात उन्होंने 3 बार दोहराई। ललन सिंह ने उस नारे का भी विरोध किया है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यालय आने पर या उनकी सभाओं में लगाए जाते हैं। यह नारा है ‘देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो।’कांग्रेस और राहुल गांधी की नाराजगी नहीं चाहते नीतीश?ललन सिंह ने जेडीयू दफ्तर में आयोजित मिलन समारोह के दौरान अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ‘आप लोग जो नारा लगाते हैं, यह विपक्षी एकता के लिए ठीक नहीं है।’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल विपक्षी एकता को मजबूत कर देश के संविधान की रक्षा करना चाहते हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की इस तरह के नारे ना लगाएं। साथ ही यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। ललन सिंह की इस अपील के बाद बिहार की राजनीति में इस बात को लेकर हलचल है। चर्चा का विषय यह है कि आखिर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने 3 बार इस बात को रिपीट क्यों किया? क्या वह कांग्रेस की नाराजगी नहीं चाहते हैं? कांग्रेस की नाराजगी से आखिर जेडीयू को क्या नुकसान हो सकता है? इस बात की चर्चा जेडीयू पार्टी के दफ्तर और आरजेडी दफ्तर के बाहर भी है। अटकलें लगाई जा रही है कि ऐसे नारों से कांग्रेस नाराज हो सकती है। जेडीयू ये रिस्क अभी नहीं लेना चाहती है।राहुल गांधी और खरगे ने 12 जून की बैठक से इसलिए किया था इनकार? राजनीति को समझने वालों का ऐसा मानना है कि कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है। उसकी कई राज्यों में सरकार है। कांग्रेस के पास विपक्ष के नेतृत्व का अनुभव भी है। और उनके नेता राहुल गांधी हैं। कांग्रेस राहुल गांधी के अलावा किसी अन्य को प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं मानेगी। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम धराशाई हो जाएगी। माना जा रहा है, इसी बात का विरोध जताने के लिए राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने 12 जून की बैठक में आने से इनकार कर दिया था। माना जा रहा है कांग्रेस की ओर से इस बैठक में आने से इनकार करना संकेत था कि राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस किसी को भी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं मानती है। नीतीश कुमार की विपक्षी एकता सफल हो या ना हो लेकिन, कांग्रेस किसी कीमत पर नीतीश कुमार को फिलहाल विपक्ष का नेता मानने को तैयार नहीं। संभावना है कि इसी शर्त पर कांग्रेस ने 23 जून की बैठक में आने पर सहमति भी दी हो।