केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के विवादास्पद मुद्दे को सुलझाने के लिए पंजाब और हरियाणा के साथ फिर से बैठक करेगी।
शेखावत 28 दिसंबर को चंडीगढ़ में एसवाईएल मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ अपनी बैठक के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने पहले भी उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इस मामले में कुछ आम सहमति बनाने की कोशिश की थी।
शेखावत ने कहा, ‘‘इस बार फिर हम प्रयास करेंगे और एक साथ चर्चा करेंगे और अगर कोई रास्ता निकलता है तो हम उस पर काम करेंगे। अन्यथा, हम उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार काम करेंगे।’’
केंद्रीय मंत्री यहां ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ में शामिल होने आये थे। हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने 14 दिसंबर को कहा था कि शेखावत ने 28 दिसंबर को चंडीगढ़ में एसवाईएल मुद्दे पर दोनों मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने कहा था कि वह बैठक में शामिल होंगे, लेकिन उन्होंने दोहराया कि राज्य के पास ‘‘अन्य राज्यों के साथ साझा करने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं है।’’
मान ने यह भी कहा था कि वह बैठक में केंद्र सरकार के सामने पंजाब का पक्ष मजबूती से रखेंगे।
खट्टर ने कहा था कि हरियाणा सरकार एसवाईएल नहर के निर्माण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करना चाहती है।
एसवाईएल मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा के बीच आखिरी बैठक 14 अक्टूबर, 2022 को हुई थी। तब दोनों राज्य विवादास्पद एसवाईएल नहर मुद्दे पर गतिरोध में कोई प्रगति करने में विफल रहे थे। यह मुद्दा पिछले कई वर्षों से दोनों राज्यों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।
रावी और ब्यास नदियों से दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे के लिए नहर की परिकल्पना की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई है, जिसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना है।
शीर्ष अदालत ने चार अक्टूबर को केंद्र से कहा था कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे जो उसे एसवाईएल नहर के हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था।
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से नहर के निर्माण को लेकर दोनों राज्यों के बीच बढ़ते विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने को भी कहा था।