उनकी खरी-खरी बातें पाकिस्तान ही नहीं, यूरोप और पश्चिमी देशों को भी चुभ रही होंगी। ताजा मामला उनके ऑस्ट्रिया दौरे से जुड़ा है। वहां एक इंटरव्यू के दौरान ऐंकर ने कह दिया कि आप डिप्लोमेट रहे हैं लेकिन कुछ हफ्ते पहले आपने अपने पड़ोसी पाकिस्तान को Epicentre (केंद्र, जैसे भूकंप का एपीसेंटर) of Terrorism (आतंकवाद का केंद्र) कहा था। इसके बाद जयशंकर ने जो जवाब दिया, वो वायरल है।
राजनयिक की ‘परिभाषा’ बता दी
जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र कहा था, जिसे भारतीय नेता आतंकवाद की जननी भी कहकर संबोधित करते हैं। जयशंकर ने सीमापार से आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाक की भूमिका की चर्चा करते हुए यह बात कही थी। ऑस्ट्रिया में इंटरव्यू के दौरान अपनी टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि वह इससे भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे। ऐंकर ने कहा कि ये शब्द डिप्लोमेटिक तो नहीं है। इस पर जयशंकर ने कहा, ‘आप एक राजनयिक हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप बातों को घुमा फिराकर कहें’। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं ‘केंद्र’ से अधिक कड़े शब्दों का उपयोग कर सकता था इसलिए यकीन करें कि जो कुछ हमारे साथ घट रहा है, उसको देखते हुए केंद्र ज्यादा डिप्लोमेटिक शब्द है।’
यूरोप में बैठकर यूरोपीय देशों को सुनाया
जयशंकर को मौका मिला तो उन्होंने यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया के राष्ट्रीय प्रसारक ‘ओआरएफ’ को दिए इंटरव्यू में साफ कहा कि दुनिया को आतंकवाद को लेकर चिंतित होने की जरूरत है। उन्होंने आतंकवाद की निंदा नहीं करने को लेकर यूरोपीय देशों की आलोचना भी की। उन्होंने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा, ‘यह एक ऐसा देश है जिसने कुछ साल पहले भारत की संसद पर हमला किया था, जिसने मुंबई शहर पर अटैक किया, जिसने होटलों और विदेशी पर्यटकों को टारगेट किया और जो रोज सीमापार से आतंकियों की खेप भेजता है।’
जयशंकर यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, ‘अगर दिनदहाड़े शहरों में आतंकी अड्डे चल रहे हों, भर्तियां और फंडिंग हो रही हो तब आप बताइए कि क्या पाकिस्तान की सरकार को इसकी जानकारी नहीं होगी कि क्या हो रहा है? खासतौर पर तब जब सैन्य स्तर का प्रशिक्षण दिया जा रहा हो।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जब हम फैसले और सिद्धांतों की बात करते हैं, तो यूरोप इसकी (पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद) कड़ी आलोचना क्यों नहीं करता, जो दशकों से चल रहा है।’
इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या दुनिया को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका से चिंतित होने की जरूरत है। विदेश मंत्री का जवाब था, ‘मैं समझता हूं कि दुनिया को आतंकवाद के बारे में चिंतित होना चाहिए। दुनिया को इस बात से चिंतित होना चाहिए कि आतंकवाद जारी है और अक्सर दुनिया कहीं और देख रही होती है। दुनिया के देश अक्सर यह सोचते हैं कि यह उनकी समस्या नहीं है क्योंकि यह किसी दूसरे देश में हो रहा है।’ जयशंकर ने कहा, ‘दुनिया को इस बात की चिंता करनी चाहिए कि वह कितनी गंभीरता और कितनी मजबूती के साथ आतंकियों की चुनौती को लेती है।’
जयशंकर ने पाकिस्तान के बारे में क्या कहा था
इंटरव्यू में पाकिस्तान को लेकर विदेश मंत्री के जिस बयान का जिक्र हुआ, उसमें जयशंकर ने कहा था कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को किसी एक क्षेत्र के अंदर तक सीमित नहीं किया सकता, खासतौर पर जब वह नशीले कारोबार, हथियारों की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय अपराधों से गहराई से जुड़ा है। उन्होंने देश का नाम लिए बगैर कहा था, ‘चूंकि इसका केंद्र (आतंकवाद) भारत के काफी करीब है, ऐसे में स्वाभाविक तौर पर हमारा अनुभव दूसरों के लिए उपयोगी हो सकता है।’
अब अंग्रेजी में दिए गए जयशंकर के इस इंटरव्यू की काफी चर्चा है। वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं। वैसे, जयशंकर हिंदी में भी उतना ही धारदार बोलते हैं। पिछले दिनों उन्होंने भारत में संसद ही नहीं, कुछ इंटरव्यू में भी हिंदी में सवालों के जवाब दिए थे।
रूस पर ऐसा जवाब कि ऐंकर की बोलती बंद
आगे ऐंकर ने बड़ी ही चतुराई से पूछा कि रूस हथियारों और सैन्य साजोसामान का आपका सबसे महत्वपूर्ण सप्लायर है। इसके बाद जयशंकर ने कहा – तो। एंकर ने कहा कि इसलिए आप रूस की आलोचना नहीं करते हैं। जयशंकर ने बेलाग बोलते हुए कहा कि हमारे मॉस्को के साथ अच्छे संबंध हैं और ये दीर्घकालिक संबंध ऐसे समय में बने जब पश्चिमी देशों ने सैन्य तानाशाही वाले मुल्क पाकिस्तान को हथियार दिए। अगर हम प्रिंसिपल की बात करते हैं तो हमें थोड़ा इतिहास खंगाल लेना चाहिए। जो लोग भारत और रूस के संबंधों को जानना चाहते हैं उन्हें पहले यह समझना चाहिए कैसे पहले पश्चिम के लोकतांत्रिक देशों ने फैसला किया था कि दुनिया में उनका स्वाभाविक सहयोगी सैन्य तानाशाही वाला पाकिस्तान है।