
ईरान में 22 साल की महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। उसे ‘गलत’ तरीके से हिजाब पहनने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं जो कई देशों में फैल चुके हैं। इस दौरान महिलाओं को हिजाब जलाते और अपने बाल काटते भी देखा जा चुका है। सोमवार को ईरान की फुटबॉल टीम ने महिलाओं के समर्थन में अपना राष्ट्रगान न गाने का साहसी फैसला लिया। स्टेडियम में मौजूद ईरानी दर्शक भी अपने राष्ट्रगान का विरोध कर रहे थे।
ईरानी खिलाड़ियों के साथ क्या हो सकता है?
अब इस टीम पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। शासन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए खिलाड़ियों को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। दावा किया जा रहा है कि ईरानी शासन ने फुटबॉल खिलाड़ियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी सरकार को चुनौती देने के लिए ईरानी खिलाड़ियों को जेल भेजा जा सकता है, नजरबंद किया जा सकता है या फुटबॉल बोर्ड को ही भंग किया जा सकता है जिससे भविष्य में यह टीम किसी भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाएगी।
जब अफगान झंडा लेकर मैदान पर उतरी क्रिकेट टीम
ऐसा ही कुछ नजारा पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान नजर आया था। क्रिकेट टूर्नामेंट से दो महीने पहले तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था। संगठन ने देश में शरिया कानून और तालिबानी झंडा लागू कर दिया था। लेकिन अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम स्कॉटलैंड के खिलाफ मैदान पर अफगानिस्तान का झंडा लेकर उतरी थी। तालिबान के विरोध में खिलाड़ियों ने मैच से पहले अपना राष्ट्रगान गाया था जिस दौरान सभी की आंखें नम हो गई थीं।