दिल्ली उच्च न्यायालय ने कालकाजी मंदिर में बिना उसकी अनुमति के जागरण या इस तरह का कार्यक्रम आयोजित नहीं करने का आदेश जारी किया। हाल ही में मंदिर में एक धार्मिक समारोह के लिए बनाया गया मंच गिरने से 45 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि मंदिर का पूर्ण प्रबंधन और नियंत्रण उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासक के अधीन है और इसका परिसर जनता के उपयोग के लिए है।
अदालत ने कहा कि कोई भी व्यक्ति या संस्था इसके किसी भी हिस्से पर विशेष नियंत्रण नहीं रख सकती है।
न्यायाधीश ने अपने हालिया आदेश में कहा, कालकाजी मंदिर में किसी प्रकार का कोई जागरण नहीं किया जाएगा या फिर इस तरह के किसी अन्य आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर कोई संगठन जागरण या इस तरह का धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करना चाहता है तो उसे अर्जी के जरिये अदालत से अनुमति मांगनी होगी।
अदालत ने कहा, मामले से अवगत प्रशासक को नियुक्त किया गया है और उन्हें पूर्ण प्रबंधन व नियंत्रण सौंपा गया है। मंदिर में किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए अनुमति की आवश्यकता होगी। इसके बिना, मंदिर परिसर के भीतर कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा।
अदालत ने अपने आदेश में 27 और 28 जनवरी की दरमियानी रात के दौरान जागरण में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर संज्ञान लेते हुए जांच के संबंध में जल्द से जल्द एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
कार्यक्रम का आयोजन प्रशासक की अनुमति के बिना किया गया था।
कालकाजी मंदिर के महंत परिसर में आयोजित जागरण के दौरान 45 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी और 17 अन्य घायल हुए थे। इस कार्यक्रम में लगभग 1,600 लोग शामिल हुए थे।