आरोपी को बालिग घोषित होने में लगेंगे 1 से 3 महीने, क्या कहता है नियम, सुनवाई में क्या हुआ? पढ़ें

पुणे: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बुधवार को पुणे के कल्याणीनगर दुर्घटना मामले में नाबालिग कार चालक को दी गई जमानत रद्द कर दी और उसे 14 दिनों के लिए बाल सुधार गृह में रखने का आदेश दिया। दरअसल बोर्ड ने रविवार को दुर्घटना के कुछ घंटों बाद नाबालिग को जमानत दे दी थी और सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा था। इसके बाद लोगों ने इस फैसले की भरसक आलोचना की थी। हादसे में दो लोगों की मौत हुई थी। ऐसे में अब शर्तों के साथ जमानत पर छूटे इस नाबालिग को पांच जून तक बाल सुधार गृह में रहना होगा। बोर्ड के मुख्य न्यायाधीश एम पी परदेशी ने यह आदेश दिया। वहीं सरकारी वकील ने अपराध की जघन्य प्रकृति के आधार पर आरोपी के साथ नाबालिग के तौर पर नहीं बल्कि बालिग के रूप में व्यवहार करने की मंजूरी मांगी। हालांकि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सुनवाई के अंत में बताया कि इस पर फैसला लेने में कम से कम 1 महीने से 3 महीने का समय लग सकता है। आज की सुनवाई में क्या हुआ?किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 14 और 15 के अनुसार, यह तय करने में 1 महीने से 3 महीने का समय लग सकता है कि आरोपी को बालिग घोषित किया जाना चाहिए या नहीं। इन दोनों धाराओं के तहत पुलिस की मांग पर निर्णय लेने के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के पास 3 महीने की अवधि है। उससे पहले पुलिस को एक महीने के भीतर हादसे की जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल करना होगा। साथ ही बाल सुधार गृह के अधिकारियों की रिपोर्ट भी जरूरी है। इसके साथ ही सरकारी मनोचिकित्सक और काउंसलर की रिपोर्ट भी जरूरी है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आज की सुनवाई में बताया कि किशोर न्याय बोर्ड यह तय करेगा कि इन चार शर्तों को पूरा करने के बाद नाबालिग को बालिग घोषित नहीं किया जाना चाहिए या नहीं।इन धाराओं में दर्ज मुकदमापुलिस ने नाबालिग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 304 (गैर इरादतन हत्या), 304 (ए) (लापरवाही से मौत), 279 (लापरवाही से वाहन चलाने), 337 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाले कार्य से चोट पहुंचाना), 338 (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य से गंभीर चोट पहुंचाना) और मोटर वाहन अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है।आरोपी के पिता पुलिस हिरासत में आरोपी नाबालिग एक रियल स्टेट कारोबारी का बेटा है। पुलिस के मुताबिक, किशोर ने पोर्श कार चलाते हुए रविवार तड़के पुणे शहर के कल्याणी नगर इलाके में मोटरसाइकिल सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को बुरी तरह से टक्कर मारी थी। पुलिस ने बताया कि पोर्श कार कथित तौर पर 17 वर्षीय नाबालिग चला रहा था और दुर्घटना के वक्त वह नशे में था। लड़के के पिता को अपनी कार अपने नाबालिग बेटे को देने के आरोप में पहले ही किशोर न्याय अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।