अहंकार ही उतर गया था
राहुल ने अपने घुटने के दर्द की कहानी बताते हुए कहा कि मैं फुटबॉल खेलता था, जब कॉलेज में फुटबॉल खेल रहा था एक बार घुटने में चोट लग गई थी। मैं उसको भूल गया था। घुटने में दर्द नहीं होता था भूल गया था उसको। दर्द गायब हो गया था, मगर कन्याकुमारी से चलने के 5-7 दिन बाद घुटने में दिक्कत आई और जबरदस्त दिक्कत आई। पूरा अहंकार उतर गया। मैं सोचने लगा क्या मैं ये 3500 किलोमीटर क्या मैं उनको चल पाऊंगा या नहीं। तो जो मैंने सोचा था कि आसान काम होगा वो काफी मुश्किल हो गया। लेकिन मैंने किसी ने किसी तरीके से ये काम पूरा कर दिया। बहुत कुछ सीखने को मिला।
राहुल का दर्द हो गया छूमंतर!
राहुल ने बताया कि चलना पड़ा। रास्ते में एक दिन मुझे दर्द हो रहा था। काफी दर्द हो रहा था। मैं सोच रहा था कि 6-7 घंटे और चलने हैं। उस दिन मुझे लग रहा था कि आज मुश्किल है। तभी एक छोटी सी बच्ची दौड़ती हुई मेरे पास आई। उसने कहा कि मैंने तुम्हारे लिए कुछ लिखा है। तुम अभी मत पढ़ो, बाद में पढ़ना। फिर वह मुझे गले लगकर भाग गई। उसने लिखा था मुझे दिख रहा है कि आपके घुटने में दर्द है। क्योंकि जब आप उस पैर पर वजन डालते हो तो तो आपके चेहरे पर दर्द है। मैं बताना चाहती हूं कि मैं आपके साथ चल नहीं सकती, लेकिन में आपके साथ चल रही हूं। उसी सेकंड मेरा दर्द कुछ दिन के लिए गायब हो गया।
गर्म कपड़े नहीं पहनने के पीछे की कहानी बताई
राहुल गांधी की पूरी यात्रा के दौरान इतनी ठंड में भी उनके गर्म कपड़े नहीं पहनने को लेकर कई बार सवाल उठे। इस पर राहुल ने आज पूरा पर्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दूसरी बार में चल रहा था और उस समय थोड़ी सर्दी बढ़ गई थी। सुबह का समय था। चार बच्चे आए। पता नहीं कहना चाहिए या नहीं। छोटे से बच्चे थे। भीख मांगते थे। और मेरे पास आए, कपड़े नहीं थे। मेरे पास आए। थोड़ा मिट्टी थी उन पर। मैं उनके साथ गले लगा। घुटनों पर गया उनको पकड़ा मैंने। मैं उनके लेवल पर रहना चाहता था। मैं यह बात कहना नहीं चाहता था, लेकिन कह दूं। उनको ठंड लग रही थी। वह कांप रहे थे। शायद उनको खाना नहीं मिला था। छोटे बच्चे मजदूरी कर रहे थे। मैंने सोचा कि ये स्वेटर नहीं पहन रहे हैं, जैकेट नहीं पहन रहे हैं, तो मुझे नहीं पहनना चाहिए।