अहमदाबाद: गुजरात में शादी, तलाक और फिर री-यूनियन का एक अनोखा मामला सामने आया है। प्रोफेसर पति और डॉक्टर पत्नी के बीच जब रिश्तों में कडुवाहट आई तो पति ने तलाक लेने का फैसला किया। गांधीनगर फैमिली कोर्ट ने चार साल की लंबी कवायद के बाद दोनों का तलाक दे दिया, लेकिन तलाक के चार साल लंबे केस के दौरान दोनों के दिल में फिर से प्यार उमड़ा तो वे साथ रहने लगे। प्रोफेसर-डॉक्टर दंपति को तलाक को रेकॉर्ड से हटवाने में आठ साल लग गए। गांधीनगर फैमिली कोर्ट के समक्ष 2011 में तलाक का एक मामला सामने आया है। तलाक का यह मामला प्रोफेसर पति और डॉक्टर पत्नी के बीच का था। दोनों ने 2006 में शादी की थी। इसके बाद उन्हें 2009 में एक बेटा हुआ था। दोनों के रिलेशनशिप में दिक्क्त आई तो उन्होंने अलग होने का फैसला किया। पति ने गुस्से में अचानक तलाक का केस दायर कर दिया। 2015 में गांधीनगर कोर्ट ने दोनों को तलाक दे दिया। तलाक के बाद फिर हुआ प्यार गांधीनगर फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पत्नी ने में गुहार लगाई और कहा कि उनकी शादी को बहाल किया जाएगा। पत्नी के फैसले को चुनौती देने की बजाए पति ने हाईकोर्ट में पत्नी की मांग का समर्थन किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने तलाक के फैसले पर याचिका दाखिल होने के दिन से रोक लगा दी। इसके बाद अपील लंबित बनी रही और इस साल के फरवरी में जब सुनवाई हुई तो दंपति ने अदालत को बताया कि तलाक के बाद दोनों ने एक दूसरे से मिलना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया कि ऐसा उनके बेटे के चलते हुआ। दोनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि वे दोनों एक साथ रह रहे हैं और उनके बीच जो तमाम विवाद थे। उनका सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान हो चुका है। दोनों ने फिर नहीं की शादी दंपति ने कोर्ट में कहा कि जब दोबारा शादी का एक विकल्प था, लेकिन वे नहीं चाहते हैं कि फैमिली कोर्ट में उनके तलाक का मामला रेकॉर्ड में रहे। हाईकोर्ट ने दंपति के अनुरोध पर उनके तलाक को रद्द कर दिया है और उन्हें 10 दिन का समय दिया है कि निचली अदालल से सारे मामले को वापस ले लें। तलाक की कानूनी लड़ाई का सुखद अंत हुआ है। दोनों अब प्यार फिर साथ र रहे हैं