
असाधारण तरीके से बदले रिश्ते भारत के रिश्ते मध्य पूर्व के करीब 4000 साल पुराने हैं। 20वीं सदी के पहले 50 साल में जब मध्य पूर्व और भारत दोनों हिस्से अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे थे, दोनों क्षेत्रों के बीच एक और रिश्ता कायम हो गया। 1990 के दशक में जिस समय शीत युद्ध की शुरुआत हुई तो भारत ने सोवियत संघ का पक्ष लिया। इस वजह से साल 1992 तक इजरायल के साथ उसके रिश्ते कायम नहीं हो सके थे। जिस समय भारत और इजरायल के रिश्ते शुरू हुए तो एक असाधारण स्थित देखने को मिली। भारत, अरब और ईरान पर तेल की जरूरत के लिए सबसे ज्यादा निर्भर था। जैसे-जैसे तेल की जरूरत पूरी होती गई, दुनिया के समझ आता गया कि रिश्ते आपसी सहमति पर आधारित हैं। खाड़ी देशों में 70 लाख भारतीय काम करते हैं और इसलिए खाड़ी देशों के साथ रिश्ते जरूरी थे।
दोनों के मजबूत सैन्य संबंध भारत यह बात बेहतरी से जानता है कि ईरान और अरब के साथ इजरायल के कैसे ताल्लुक हैं। मगर उसने के संतुलन के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाया है। इजरायल के साथ उसके जो संबंध हैं, उसने अरब देशों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उसे हल्के में लेने की गलती हरगिज न करें। इजरायल के साथ जबतक द्विपक्षीय ताल्लुक नहीं थे, उस समय तक स्थिति भी ऐसी नहीं थी।
इजरायल जो अमेरिका का समर्थक है, भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझीदार है। भारत और इजरायल के बीच मिलिट्री रिलेशनशिप सबसे मजबूत है। दोनों देशों के बीच इस रिश्ते को आसानी से देखा जा सकता है। इस साझीदारी की वजह से इजरायल को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। यह बात जाननी जरूरी है कि रिश्ता मिलिट्री हार्डवेयर की बिक्री से कहीं आगे है।
मुसलमान देश परेशान इजरायल ने पूर्व में भारत की काफी मदद की है खासतौर पर तब जब पाकिस्तान के साथ संबंध काफी तनावपूर्ण हुए। भारतीय रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले समय में यह रिश्ता और मजबूत होने वाला है। भारत के साथ रक्षा गठजोड़ से इजरायल की मिलिट्री इंडस्ट्रीज को उनका सबसे बड़ा विदेशी खरीददार मिला है। इसकी वजह से ही इजरायल को एशिया की दूसरी महाशक्ति का सबसे बड़ा साथी होने का दर्जा हासिल हुआ है।
यह वह स्थिति है जो मुसलमान देशों को कभी-कभी परेशान कर देती है। पाकिस्तान को देखते हुए भी दोनों के बीच संबंध काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगर पाकिस्तान एक असफल देश साबित होता है तो इसके परमाणु हथियारों पर सबसे खतरा पैदा होगा। ऐसे में कहीं न कहीं इजरायल से करीबी का भारत को बड़ा फायदा होने वाला है।
एशिया का एंट्री गेट
इजरायल को यह मालूम है कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी सभ्यता है और यह देश दूसरे एशियाई देशों में उसका एंट्री गेट है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, बाली और इंडोनेशिया के अलावा थाइलैंड और म्यांमार भी एशिया के अहम देश हैं। इजरायल के एशिया के कई देशों के साथ राजनयिक और आर्थिक रिश्ते हैं लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश और मलेशिया से अभी दूरी बनी हुई है। इजरायल जानता है कि कुछ देशों जैसे कि पाकिस्तान के साथ भले ही भारत के संबंध अच्छे नहीं हैं लेकिन यहां भारतीय संस्कृति का असर देखने को मिलता है। ऐसे में कोशिशों के बाद इजरायल और यहूदियों के रिश्ते पूरे एशिया के साथ काफी अच्छे हो सकते हैं।
सबसे ज्यादा व्यापार
इजरायल आर्थिक तरक्की के लिए विदेशी व्यापार पर निर्भर है। भारत उन कुछ देशों में शामिल है जिनसे इजरायल के व्यापार रिश्ते मजबूत हो रहे हैं। भारत के बाजारों से इजरायल को हर साल पांच अरब डॉलर राजस्व हासिल होता है। विशेषज्ञों की मानें तो यह व्यापार आने वाले समय में 10 से 15 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। अगर भारत और इजरायल के बीच लंबे समय से अटका मुक्त व्यापार समझौता हकीकत बन जाता है स्थिति अकल्पनीय हो जाएगी।