क्या साबरमती जेल में झाड़ू लगा रहा है माफिया अतीक अहमद? जानिए दावे में कितना दम

अहमदाबाद: माफिया की सजा के बाद अब में कैदी नंबर 17052 के तौर पर रहा है। वह अभी तक बाहर का खाना खाता था, लेकिन सजायाफ्ता कैदी होने के बाद अब उसे जेल का खाना खाना पड़ा रहा है। जेल मैनुअल के अनुसार सजायाफ्ता कैदियों को जेल में काम भी करना पड़ता है। इसी को लेकर अब के बारे में कहा जा रहा है कि उसे जेल में कपड़े धोने, भैंसों का नहलाने और झाड़ू लगाने का काम दिया है। अतीक अहमद से जुड़ा यह दावा काफी वायरल भी हो रही है। इसमें यह भी दावा किया जा रहा है कि उसे इस काम के लिए 25 रुपये प्रतिदिन की दिहाड़ी भी मिल रही है। उसका बैंक अकाउंट भी खोल दिया गया है। यूपी के इस माफिया को अकुशल कैदी की श्रेणी में रखा गया है। साबरमती जेल में कितनी भैंसे? माफिया से राजनीति में आए अतीक अहमद को लेकर वायरल हो रहे इस दावे का नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की टीम ने फैक्ट चेक किया तो सामने आया है कि जेल मैनुअल के हिसाब से कैदियों को काम दिया जाता है। इसके बदले में उन्हें कुछ रुपये मिलते हैं। जिसे एक बैंक अकाउंट में जमा किया जाता है। कैदी चाहे तो ये रुपये अपने परिवार को भेज दे या फिर अकाउंट में ही रखे। अतीक अहमद को लेकर किए जा रहे दावे की पड़ताल में सामने आया कि 3 अप्रैल तक उसे कोई काम एलॉट नहीं किया गया था। टीम ने वायरल हो रही जानकारी की सत्यता जांचने के लिए साबरमती जेल के इंचार्ज जेलर एस जे चावड़ा से भी संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि साबरमती जेल में भैंसे नहीं हैं। अभी नहीं मिला है कोई काम जब आगे और पड़ताल की तो सामने आया कि 29 मार्च की देर शाम को जेल पहुंचे अतीक को पहनने के लिए जेल की ड्रेस तो दी गई है लेकिन अभी तक कोई काम नहीं दिया गया है। एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जेल में हजारों कैदी हैं। सभी का काम करना न तो संभव है और न ही काम करवाया जा सकता है। सभी कैदी काम नहीं करते हैं। अधिकारी ने कहा कि माफिया अतीक अहमद को अभी कोई काम नहीं दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि प्रयागराज से लौटने के बाद अतीक अहमद ने चक्कर आने की शिकायत की थी। इसके बाद से उसके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। उसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और ब्लड प्रेशर की समस्या है। 25 नहीं 70 रुपये है मेहनतानाअतीक के जुड़े दावे में कहा जा रहा है कि उसे इस काम के बदले में प्रतिदिन 25 रुपये मिल रहे हैं तो वहीं जेल मैनुअल में सजायाफ़्ता अकुशल कैदी के न्यूनतम मेहनताना 70 रुपये है। ऐसे में 25 रुपये के दावे का तथ्य भी गलत है। साबरमती जेल में सजायाफ्ता अकुशल कैदी को 70 रुपये मिलते हैं जब कि सेमी स्किल्ड को 80 रुपये और स्किल्ड को 100 रुपये दिए जाते हैं। अतीक अहमद को सजायाफ़्ता होने के बाद साबरमती जेल के पुराने कंपाउंड में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है, ताकि उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।