नेपाल में क्‍या भारत के खिलाफ बनी चीन समर्थक सरकार ? प्रचंड ने PM बनते ही दिया बड़ा बयान

काठमांडू: नेपाल के नए प्रधानमंत्री बन चुके हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रचंड ने एक इंटरव्यू में नेपाल और भारत के रिश्तों के साथ चीन पर बात की। उन्होंने कहा कि मैं भारत के खिलाफ नहीं हूं। प्रचंड तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। इससे पहले भी वह दो बार पीएम बने थे, लेकिन सिर्फ एक-एक साल का ही कार्यकाल पूरा कर सके। उनसे जब पूछा गया कि क्या वह कार्यकाल को पूरा कर सकेंगे, इस पर उन्होंने कहा कि इस बार जो चुनाव परिणाम आए हैं, उसी के आधार पर सरकार बनी है। जनता चाहती थी कि सब मिल कर काम करें और उसी के मुताबिक यह नई सरकार बनी है। नई पार्टियां जो कुछ करना चाहती हैं और जो अनुभवी हैं वह दोनों हमारे साथ हैं।

ABP टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा हमारी पार्टियों के विचार भले अलग हों, लेकिन आज हम संविधान के कारण एक साथ आए हैं। प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने पर पीएम मोदी दुनिया के पहले नेता थे, जिन्होंने उन्हें बधाई दी थी। पीएम मोदी ने लिखा था, ‘नेपाल के प्रधानमंत्री चुने जाने पर पुष्प कमल दहल प्रचंड को बधाई। भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और गर्मजोशी से लोगों के बीच संबंधों पर आधारित है। मैं इस दोस्ती को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने की आशा करता हूं।’

भारत नेपाल संबंधों पर कही ये बात

प्रचंड ने भारत और नेपाल के संबंधों पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘मैं भारत के खिलाफ नहीं हूं। जब मैं पीएम नियुक्त होने के बाद राष्ट्रपति जी के यहां से निकल रहा था तो सबसे पहली बधाई भारत के राजदूत की ओर से दी गई। उसके तुरंत बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने मुझे बधाई दी। आखिरी बार जब मैं भारत गया था तब बहुत खुले दिल से कई मुद्दों पर बातचीत हुई। नेपाल भारत के संबंधों को बढ़ाने के लिए दोनों देशों की चिंताओं पर बातचीत होनी चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘भारत के नेताओं से हमने पहले बात की है, कई ऐसे मुद्दे हैं जिस पर भारत और नेपाल को एक साथ काम करना है। मैं चाहूंगा कि दोनों देशों के संबंध सही दिशा में आगे बढ़ें।’

‘दोनों देशों में विश्वास का वातावरण’

प्रचंड को समर्थन देने वाले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत के खिलाफ बयान देते रहे हैं। सीमा विवाद और भगवान राम के जन्म को लेकर उन्होंने कई विवादित बयान दिए थे। इस पर जब प्रचंड से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह सब बातें अब इतिहास हो गई हैं। स्थिति बदल चुकी है। अब विश्वास का वातावरण बन रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैं शुरु से ही कहता रहा हूं। नेपाल अब प्रो नेपाल वाली नीति पर जाना चाहता है। भारत और चीन जैसे बाकी मित्र देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना हमारा उद्देश्य होगा। राजशाही के समय में किसी को भारत समर्थक, किसी को चीन समर्थक तो किसी को अमेरिका समर्थक कहा जाता था। तब नेपाल की राजनीति को विभाजित कर चलाने की गलत परंपरा थी।’

‘नेपाल प्रो चाइना नहीं’

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत के साथ हमारा एक यूनीक रिलेशन है। कहीं भी ऐसा रिश्ता देखने को नहीं मिलता। हमारे बॉर्डर, हमारा इतिहास, हमारी भाषा, संस्कृति और लोगों का आपसी जुड़ाव ऐसा है, जैसा दुनिया में कहीं नहीं। इसी के मुताबिक हमें भारत और नेपाल के संबंधों को आगे ले जाना है। बाकी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखना है। हमें नेपाल की जनता के प्रति वफादार रहना है। उनके हित को प्राथमिकता देना है।’ यह पूछे जाने पर कि दुनिया उन्हें चीन समर्थित सरकार क्यों मानती है, इस पर उन्होंने कहा, ‘नेपाल की राजनीति जिस हिसाब से बढ़ रही है, वहां अब कोई प्रो चाइना, प्रो इंडिया और प्रो अमेरिका की बात नहीं है। हम सब के साथ मिल कर काम करेंगे। हम यह साबित कर के दिखाएंगे।’