इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हादसे को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. दावा किया जा रहा है कि बावड़ी के ऊपर डाली गई स्लैब में पहले से दरारें थी. वहीं जब इस स्लैब पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी तो फर्श लोड को नहीं झेल पाया. वहीं जैसे ही स्लैब टूटने लगा तो बाहर खड़े लोगों ने बचने की कोशिश की, लेकिन भगदड़ मच गई और सभी लोग बावड़ी में गिर पड़े. इनमें से 36 लोगों की मौत हो गई. जबकि 18 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है.
प्रशासन के मुताबिक अभी तक सही आंकड़ा तो नहीं आया, लेकिन माना जा रहा है कि हादसे के वक्त बावड़ी पर डाले गए स्लैब के ऊपर 50 से 60 श्रद्धालु मौजूद थे. इनमें ज्यादातर लोग आंखे बंद कर भगवान का ध्यान कर रहे थे. थोड़ी ही देर बाद भगवान राम के अवतरण के अवसर पर आरती होने वाली थी. ऐसे में किसी को खतरे का एहसास तक नहीं हुआ. बचाव कार्य में जुटे एसडीआरएफ के अधिकारियों के मुताबिक नीचे बावड़ी में करीब 25 फुट तक पानी था. यह बावड़ी खुद करीब 60 फुट गहरी है.
ये भी पढ़ें:Indore: मंदिर हादसे में अब तक 35 की मौत, सेना ने संभाला मोर्चा तब जाकर निकाले गए 21 शव
स्थानीय लोगों की माने तो इस बावड़ी के ऊपर डाले गए स्लैब में दरार की जानकारी मंदिर प्रबंधन को भी थी. उन्हें यह भी पता था कि हर साल की तरह ही इस बार हवन और आरती में काफी संख्या में लोग जमा हो सकते हैं. बावजूद इसके मंदिर प्रबंधन खतरे से बेपरवाह होकर बावड़ी के ऊपर ही सारा आयोजन रख दिया था. हालांकि मंदिर प्रबंधन का कहना है कि ऐसा मजबूरी में किया गया. दरअसल हर साल मंदिर के बाहर आयोजन होता था, लेकिन नए मंदिर के निर्माण कार्य के चलते यह आयोजन बावड़ी के ऊपर डाले गए स्लैब पर करना पड़ा.
ये भी पढ़ें:Indore: अंतिम समय तक पकड़े रखा बेटे का हाथ, पर हादसे में रवि ने खोया अपना परिवार, बेटा-पत्नी और मां लापता
एनडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि बावड़ी में पानी अधिक होने के साथ ही नीचे अंधेरा भी था. इसकी वजह से बचाव कार्य में काफी दिक्कतें आईं.चूंकि जल्द से जल्द लोगों को बाहर निकालना था, इसलिए पहले रस्सी डाली गई, इससे भी काम नहीं बना तो बड़ी बड़ी सीढ़ियां उतारी गई. फिर भी काम नहीं बना तो अक्सीजन सिलेंडर उतारे गए. अधिकारियों के मुताबिक काफी मुश्किल से दो लोगों को जिंदा निकाला गया, लेकिन उनकी अस्पताल पहुंचते ही मौत हो गई.