नई दिल्ली: ब्यूरोक्रेट्स के परिवार से आते हैं। 2019 में वह केंद्रीय मंत्री बने। यह पद मिलना उनके लिए चौंकाने जैसा था। जयशंकर के पिता डॉ के सुब्रमण्यम को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेक्रेटरी (डिफेंस प्रोडक्शन) के पद से हटा दिया था। 1980 में सत्ता में आते ही इंदिरा ने यह कदम उठाया था। राजीव गांधी के कार्यकाल में भी उनके साथ अन्याय हुआ। उनके बजाय उनसे जूनियर को कैबिनेट सेक्रेटरी के तौर पर वरीयता दी गई थी। जयशंकर ने खुद वह पूरी कहानी सुनाई है। जयशंकर ने फॉरेन सर्विस से राजनीतिक गलियारे तक के सफर पर बातचीत की है। एएनआई के साथ इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह हमेशा एक बेहतरीन ऑफिसर बनना चाहते थे। उन्हें विदेश सचिव पद तक प्रोन्नति मिली। जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक जयशंकर विदेश सचिव थे। उनके पिता का नाम के सुब्रमण्यम था। 2011 में वह चल बसे। उन्हें देश के जाने-माने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिकार के तौर पर माना जाता था। जयशंकर ने बताया, ‘मैं बेस्ट फॉरेन सर्विस ऑफिसर बनना चाहता था। मेरे दिमाग में बेस्ट का मतलब था फॉरेन सेक्रेटरी के पद तक पहुंचना। मेरे पिता भी सचिव हो गए थे। लेकिन, उन्हें हटा दिया गया था। 1979 में जनता सरकार में जब वह सचिव बने तो वह शायद सबसे युवा सेक्रेटरी थे।’ सत्ता में आते ही इंदिरा ने पिता को हटाया विदेश मंत्री ने कहा कि 1980 में उनके पिता सेक्रेटरी (डिफेंस प्रोडक्शन) थे। 1980 में इंदिरा गांधी जब दोबारा सत्ता में लौटीं तो उनके पिता पहले सचिव थे जिन्हें हटाया गया था। वह रक्षा मामलों में उस वक्त सबसे ज्यादा जानकारी रखने वाले शख्स थे। वह सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति थे। शायद यही उनके लिए समस्या बनी। वह फिर कभी सचिव नहीं बने। राजीव गांधी के कार्यकाल में उनसे जूनियर को उनके बजाय वरीयता दी गई। वो शख्स कैबिनेट सचिव बने। यह बात उन्हें बहुत महसूस हुई थी। हालांकि, परिवार इसके बारे में कुछ बोला नहीं। जब जयशंकर के बड़े भाई सेक्रेटरी बने तो पिता की छाती गर्व से फूली नहीं समा रही थी। पिता के निधन के बाद सेक्रेटरी बने जयशंकरजयशंकर ने बताया कि पिता के निधन के बाद वह सेक्रेटरी बने। वह ग्रेड 1 में सेक्रेटरी जैसे ही थे। लेकिन, सेक्रेटरी नहीं थे। बाद में जयंशकर ने यह लक्ष्य हासिल किया। इसके बाद उनके सामने जो राजनीतिक अवसर मिला वो उसके लिए तैयार भी नहीं थे। जयशंकर ने उस वक्त के बारे में भी बताया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने ने उन्हें 2019 में कैबिनेट का हिस्सा बनने के लिए कॉल किया था। जयशंकर ने कहा कि यह पूरी तरह से चौंकाने वाला था। उन्होंने पूरी जिंदगी राजनेताओं को देखा था। लेकिन, खुद वह इस भूमिका में आएंगे, इसके बारे में कभी सोचा नहीं था। वह संसद सदस्य भी नहीं थे। उन्हें सेलेक्ट किया गया था। 1977 में जयशंकर भारतीय विदेश सेवा से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि वह बहुत ध्यान से देखते हैं कि उनकी पार्टी और दूसरी पार्टी के लोग क्या कर रहे हैं। वह राज्यसभा में गुजरात से बीजेपी मेंबर हैं। उन्होंने कैबिनेट मंत्री के तौर पर अपने चार साल के कार्यकाल को बेहद दिलचस्प बताया।