कर्नल डीपीके पिल्लईतुर्की और सीरिया में आए भूकंप के बाद जिस तरीके से भारत की ओर से मदद का हाथ बढ़ाया गया उसकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है। ऑपरेशन दोस्त के तहत भारत की ओर इस संकट के वक्त जिस प्रकार सहायता की जा रही है वैसा कोई विकसित देश ही करता है। तुर्की और सीरिया को दी जाने वाली सहायता भारत की मानवीय सहायता के युग के आने का प्रतीक है? तुर्की और सीरिया में संकट के वक्त भारत की त्वरित प्रतिक्रिया पिछले दो दशकों में एक पैटर्न की पुष्टि करता है। भारत ऐसे मदद के लिए जाना जाने लगा है और कई मानवीय संकटों के वक्त सहायता के लिए सबसे आगे रहा। वहीं दूसरी ओर ऐसे मामलों में विदेशी सहायता के प्रस्ताव में गिरावट आई है। आपदा के वक्त भारत की ओर से राहत और मदद प्रदान करना कुछ ऐसा ही है जैसा अतीत में केवल विकसित देशों की ओर से ही किया गया है। भारत आपात स्थितियों में मदद ‘कोई बंधन नहीं’ नजरिए के साथ देता है। भारत के पास वह क्षमता, अनुभव और सशस्त्र बलों की ऐसी टीम है जिसके जरिए वह ऐसे मुश्किल वक्त में दूसरे देशों की मदद कर पाता है। हालांकि भारत को इस तरह की मदद के लिए इसी जज्बे के साथ बने रहना है तो उसे भी अन्य सभी विकसित देशों की तरह एक पेशेवर सहायता एजेंसी बनाने पर विचार करना होगा।पेशेवर एजेंसी: यह कोई नया विचार नहीं है। 1952 की शुरुआत में भारत ने नेपाल में भारतीय सहायता मिशन विकसित किया जो भारतीय सहयोग मिशन बन गया। भारत विकास पहल 2003 से 2007 तक रहा। वर्तमान में 2012 में स्थापित विदेश मंत्रालय का विकास भागीदारी प्रशासन विकास सहायता और मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR)दोनों को संभालता है। 2005 में स्थापित भारतीय विकास और आर्थिक सहायता योजना के तहत ऋण की व्यवस्था करता है। चीनियों ने भारत के मॉडल के आधार पर ऐसे मिशन के लिए EXIM बैंक का प्रयोग किया और आज इसकी पहुंच कहीं अधिक है।2007 में घोषित विशेष भारत अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी काफी आगे नहीं बढ़ सका। वहीं 2018 में चीन अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी चालू हो गई थी। भारत को कई एजेंसियों के स्थान पर यूएसएआईडी की तर्ज पर एक स्वायत्त एजेंसी स्थापित करने की आवश्यकता है। एक स्वायत्त एजेंसी होने से यह कार्य तेजी से आगे बढ़ सकेगा। नई एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय मानवीय संगठनों के साथ भी प्रभावी रूप से सहयोग कर सकती है। भारत वर्तमान में केवल विश्व खाद्य कार्यक्रम जैसी अन्य एजेंसियों और अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय रूप से सहयोग करता है। वहीं पश्चिमी एजेंसियां भी भारत की असंख्य समस्याओं से निपटने के अनुभव आधार, आयुष्मान भारत, CoWin और UPI जैसी सफल घरेलू स्कीम से सीख सकती हैं।