मालदीव में बने रह सकते हैं भारतीय सैनिक, चीन के गुलाम मुइज्‍जू यूं ही नहीं बौखला रहे, जानें कैसे बन रही है संभावना

माले: मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा है कि उनकी पार्टी को संसद में बहुमत मिलना जरूरी है। अगर उनकी सरकार आगामी संसदीय चुनावों में बहुमत हासिल करने में विफल रहती है तो मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को नहीं हटाया जा सकेगा। मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के साथ देश में सर्च और बचाव अभियान चलाने वाले भारतीय सैनिकों को हटाना राष्ट्रपति मुइज्जू के एजेंडे के सबसे अहम मुद्दों में से एक है। वह चुनाव प्रचार के समय से ही भारतीय सैनिकों को वापस भेजने का वादा करते रहे हैं।राष्ट्रपति मुइज्जू ने अड्डू हुलहुमिधू में एक बैठक में कहा, मालदीव और भारत ने सैनिकों को हटाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार ने समझौते के अनुपालन का आश्वासन दिया है लेकिन भारतीय ये संसदीय चुनावों के नतीजे पर निर्भर रह सकते हैं। सरकार को उन्हें हटाने के लिए मजलिस के बहुमत की भी जरूरत है। ऐसे में जनता से मतदान से पहले इस बारे में सोचकर फैसला ले और उनकी पार्टी के पक्ष में मतदान करे।मुइज्जू को क्यों सता रही है चिंताराष्ट्रपति ने कहा, सरकार का समर्थन करने वाले निर्वाचित सांसदों के साथ 10 मई से पहले देश से सभी विदेशी सैनिकों को वापस लेने के लिए दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित विनिमय पत्र के तहत इसे पूरा करना होगा। अगर ससंदीय चुनाव में हमारे खिलाफ निर्णय जाता है तो सैनिकों पर फैसला बदला जा सकता है और वह बने रह सकते हैं। हालांकि राष्ट्रपति की टिप्पणी के बावजूद भारतीय सैनिकों को मालदीव लाने में संसद की कोई भूमिका नहीं थी। ना ही मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद से सैनिकों को वापस भेजने के प्रयासों में संसद की कोई भागीदारी रही है।मालदीव सरकार ने मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाए जाने के बाद एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टरों को संचालित करने के लिए तकनीकी कर्मियों को लाने के लिए भारत के साथ एक समझौता किया। 10 मई से पहले इन कर्मचारियों को मालदीव जाना है। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों देशों के कोर ग्रुप की बैठक के दौरान 10 मार्च से पहले भारतीय सैनिकों के पहले बैच को हटाने पर सहमति बनी है।