नई दिल्ली : भारतीय सेना ने सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास 10 दिन की एक बड़ी जॉइंट एक्सरसाइज की है। इस एक्सरसाइज के जरिए सेना की युद्ध की तैयारियों को परखा गया है। यह एक्सरसाइज इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल ही में चीन ने डोकलाम के पास अपनी गतिविधियां बढ़ाई, जिसके बाद भारतीय सेना ने भी उस इलाके में अपनी तैनाती लगभग दोगुनी कर दी थी। कुछ महीने पहले ही डोकलाम में चीन ने जामफेरी रिज तक पहुंचने की कोशिश की थी। चीन ने टोरसा नाला में ब्रिज बना लिया है।यह भारत के लिए इसलिए खतरा है क्योंकि अगर चीनी सेना जामफेरी रिज तक पहुंचती है तो भारत के सिलिगुड़ी कोरिडोर पर खतरा हो जाएगा। सिलिगुड़ी कोरिडोर सामरिक रूप से बेहद अहम है । इसे चिकन नेक भी कहते हैं। यह बहुत संकरा रास्ता है जिससे पूरा नॉर्थ ईस्ट देश के बाकी हिस्से से जुड़ता है। डोकलाम भूटान की एरिया में आता है लेकिन यह सिक्किम-भूटान और तिब्बत के ट्राई जंक्शन में है। एक्सरसाइज में देखा गया कि कितनी तेजी से सेना अलग अलग इलाकों में मोबलाइज कर सकती है यानी पहुंच सकती है। इसमें सिविल एडमिनिस्ट्रेशन, सिविल डिफेंस ऑर्गनाइजेशन, पुलिस और सीएपीएफ से कॉर्डिनेट किया गया। क्योंकि युद्ध की स्थिति में सभी एजेंसियो को मिलकर काम करना होता है। एक्सरसाइज मंगलवार यानी 31 जनवरी को पूरी हुई। इसमें तीस्ता फील्ड फायरिंग रेंज में इंटीग्रेटेड फायर पावर एक्सरसाइज भी की गई। इसके जरिए इंटीग्रेटेड बैटल की तैयारी भी देखी गई। इसमें रफाल फाइटर एयरक्राफ्ट सहित दूसरे फाइटर एयरक्राफ्ट , हेलिकॉप्टर, टैंक, इंफ्रेंट्री कॉम्बेट वीइकल, मीडियम और फील्ड आर्टिलरी गन, इंफ्रेंट्री मोर्टार्स और कई नए वेपन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। फायर पावर एक्सरसाइज का ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आर पी कलीता के साथ बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों ने रिव्यू किया। कुछ दिन पहले ही आर्मी चीफ जनरल मनोज पाण्डे ने कहा था कि चीन ने ईस्टर्न सेक्टर में एलएसी के दूसरी तरफ अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है।