नई दिल्ली: चीन के साथ जारी सैन्य तनातनी के बीच साल 2020 में पहली बार भारत ने अपने बहुचर्चित नौसैनिक अभ्यास मालाबार में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने का ऐलान किया था। क्वाड देशों के बीच सैन्य सहभागिता के लिहाज से मालाबार नौसैनिक अभ्यास के कूटनीतिक और सामरिक महत्व को समझा जा सकता है। इस साल अगस्त महीने में पहली बार मालाबार नौसैनिक अभ्यास ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया जाएगा। भारत मालाबार एक्सरसाइज के लिए इस बार अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों के साथ-साथ पी-8I लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान भेजेगा। चीन की आपत्तियों को दरकिनार कर सभी चार ‘क्वाड’ देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किसी प्रकार की ‘जबरदस्ती’ रोकने का इरादा जताया है। एक ओर चीन के साथ बढ़ता तनाव तो वहीं दूसरी ओर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बढ़ती साझेदारी को काफी अहम माना जा रहा है। चीन से मिल रही चुनौती के बीच यह कदम उठाने की जरूरतचीन बड़ी ही तेजी के साथ अपनी नौसेना का विस्तार कर रहा है। पहले से ही 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी उसकी नौसेना है। चीन की ओर से मिल रही चुनौती के बीच यह महसूस किया गया कि आने वाले वर्षों में किसी भी चुनौती से निपटने के लिए क्वाड देशों के बीच एक समुद्री साझेदारी की आवश्यकता है। पिछले साल पूर्वी चीन सागर के पास योकोसुका में मालाबार एक्सरसाइज आयोजित किए जाने के बाद, ऑस्ट्रेलिया इस बार अभ्यास की मेजबानी करने का इच्छुक था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज समेत वहां के शीर्ष नेतृत्व से पिछले शनिवार को मुलाकात की। इस दौरान द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी, आर्थिक अवसर, लोगों के बीच संबंध, क्रिकेट और हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत कई विषयों पर चर्चा की।भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों को मिलकर काम करने की जरूरतऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री अल्बनीज ने कहा कि अगले महीने भारत यात्रा से पहले डॉ. एस. जयशंकर से मिलना बहुत अच्छा रहा। हमने अपनी रणनीतिक साझेदारी, आर्थिक अवसरों और लोगों के बीच संबंधों पर चर्चा की, जो हमारे देशों को समृद्ध करते हैं। जयशंकर पिछले साल फरवरी के बाद से तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थे। पिछले साल उन्होंने क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मेलबर्न का दौरा किया था। विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने इस दौरे पर कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए विश्व की दिशा तय करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। रायसीना सिडनी बिजनेस ब्रेकफास्ट में दिए अपने अहम संबोधन में विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया की मौजूदा परिस्थिति भारत और ऑस्ट्रेलिया को एक दूसरे के लिए और काम करने को मजबूर करती है।ऑस्ट्रेलिया के साथ हुआ एक अहम करार2 अप्रैल 2022 को भारत-ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए पर हस्ताक्षर किए थे और पिछले साल 29 दिसंबर को यह प्रभावी हुआ। आर्थिक थिंक टैंक जीटीआरआई के मुताबिक यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार मजबूत करेगा और अगले पांच साल में दोनों देशों का कारोबार 70 अरब डॉलर तक पहुचांने में मददगार साबित होगा। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने जून 2020 में MLSA पर भी हस्ताक्षर किए, जो एक दूसरे के युद्धपोतों और विमानों के लिए ईंधन भरने की सुविधा प्रदान करती है। भारत के पास अमेरिका और जापान के साथ-साथ फ्रांस, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे अन्य देशों के साथ ऐसे पारस्परिक सैन्य रसद समझौते हैं।