बालाकोट के समय जंग के लिए तैयार था भारत, ऑपरेशन लीड करने वाले कमांडर ने बताई कहानी

नई दिल्ली: साल 2019 में आज के ही दिन यानी 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के घर में घुसकर बालाकोट एयरस्ट्राइक की। भारतीय सेना के इस बड़े एक्शन ने पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ा दी। आज 4 साल बाद भी पाकिस्तान भारत से टक्कर लेने से डरता है। इस बीच भारतीय सेना के रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल कंवल जीत सिंह ढिल्लों ने एक इंटरव्यू में बालाकोट एयरस्ट्राइक की कहानी बताई है।

उन्होंने बताया है कि भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक के लिए पीओके नहीं बल्कि पाकिस्तानी बॉर्डर को पार किया और पुलवामा हमले का बदला लिया।POK नहीं पाकिस्तानी सीमा में घुसी थी भारतीय सेनाहाल ही में जनरल ढिल्लों की किताब ‘कितने गाजी आए कितने गाजी गए’ का विमोचन हुआ है। अपनी किताब के बारे में बात करते हुए उन्होंने बालाकोट एयरस्ट्राइक की अनसुनी कहानी बताई।

उन्होंने कहा, ‘बालाकोट एयरस्ट्राइक भारत सरकार का पुलवामा हमले का जवाब था। बालाकोट पाकिस्तानी सीमा के भीतर है। वो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का हिस्सा नहीं है। ऐसे में भारतीय वायुसेना ने न सिर्फ पीओके पार किया बल्कि पाकिस्तानी बॉर्डर को पार किया। भारतीय लड़ाकू विमान ने पाकिस्तानी एयरफोर्स के रडार सिस्टम को भी चकमा दिया और बालाकोट में आतंकी कैंपो पर बमबारी की।’

उन्होंने बताया, ‘भारतीय वायुसेना हथियारों से लैस पाकिस्तान की सीमा में घुसी, ये एक युद्ध की स्थिति थी। वहां बमबारी करके सेना सुरक्षित वापस भी आ गई। इस एयर स्ट्राइक के जरिए भारत सरकार की पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी थी। भारत ने मैसेज दिया था कि अगर आप हमें छेड़ेंगे तो हम घर में घुस कर मारेंगे। हम जो कहते हैं वो करते दिखाते हैं। पाकिस्तान के खोखले स्टेटमेंट का प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन हमारी एयरफोर्स जाती है और मारकर सुरक्षित वापस आ जाती है।’ जनरल ढिल्लों की ‘कितने गाजी आए कितने गाजी गए’ पुस्तक का हाल ही में लॉन्च हुई है। इस किताब में उन्होंने कई खुलासे किए हैं।

उन्होंने अपनी किताब में बताया है कि पुलवामा हमले के 10 दिनों के भीतर एक और बड़ा आतंकी अटैक होने वाला था। हालांकि भारत के सुरक्षाबलों और इंटेलिजेंस की सतर्कता की वजह से ये हमला टल गया था। सुरक्षा बलों ने आतंकी हमले की साजिश रच रहे दो पाकिस्तानियों समेत तीन आतंकवादियों को मार गिराया था।