विश्व को प्राकृतिक खेती का रास्ता दिखाने के लिए भारत को नयी हरित क्रांति की जरूरत: अमित शाह

गांधीधाम। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि दुनिया को प्राकृतिक खेती का रास्ता दिखाने और किसानों को समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए भारत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक नयी हरित क्रांति की जरूरत है।
शाह ने कहा कि यह हरित क्रांति जैविक उत्पादों के लिए बाजार खोजकर दुनिया भर से पैसा भारत में लाएगी।
शाह गुजरात के कच्छ जिले के कांडला में अग्रणी उर्वरक सहकारी प्रमुख इफको के नैनो डीएपी (तरल) संयंत्र की आधारशिला रखने के लिए आयोजित समारोह में बोल रहे थे।
मंत्री ने कहा कि संयंत्र में प्रति दिन 500 मिलीलीटर तरल वाली 2 लाख बोतलों का उत्पादन होगा, जिससे आयातित उर्वरकों पर देश की निर्भरता कम होगी और उर्वरकों पर 10,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी बचेगी।
इसे भी पढ़ें: Nuh violence: सोनीपत में हिंदू समूह ने खुले में हनुमान चालीसा का किया पाठ, रैली निकालीइस अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि मोदीजी के नेतृत्व में देश को एक और हरित क्रांति की जरूरत है, भले ही यह एक अलग तरह की क्रांति हो, जहां उत्पादन ही एकमात्र लक्ष्य नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि अतीत में भारत को गेहूं और चावल आयात करने की जरूरत पड़ती थी। उन्होंने कहा कि बाद की सरकारों के प्रयासों और पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बन गया है।
शाह ने कहा, ‘‘लेकिन जब मैं कहता हूं कि हमें एक नयी हरित क्रांति की जरूरत है, तो इसका आयाम यह होना चाहिए कि भारत दुनिया को प्राकृतिक खेती का रास्ता दिखाए और प्राकृतिक खेती के लिए हरित क्रांति लाए… यह हरित क्रांति हमारे किसानों के जैविक उत्पादों के लिए बाजार ढूंढकर दुनिया भर से पैसा भारत लाएगी।’’
नयी हरित क्रांति का लक्ष्य तीन चीजों का है: पहला, भारत को न केवल गेहूं और धान, बल्कि हर प्रकार के खाद्य पदार्थों में आत्मनिर्भर बनाना, चाहे वह दालें हों या तिलहन; दूसरा, प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करके प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ाना और मिट्टी को संरक्षित करना और तीसरा, प्राकृतिक खेती की उपज के लिए बाजार ढूंढकर किसानों के लिए समृद्धि लाना।
मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार इन तीन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है और उनके मंत्रालय ने इन्हें हासिल करने के लिए तीन बहु-राज्य सहकारी समितियों की स्थापना की है।
इसे भी पढ़ें: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए राज्यों के बीच सहयोग जरूरी: गोपाल रायउन्होंने कहा कि इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) संयंत्र में उत्पादित तरल नैनो यूरिया पृथ्वी को रासायनिक जहर से बचाकर संरक्षित करने, उसकी उर्वरता बनाए रखने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने की चुनौती का सामना करने में किसानों की मदद करेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे बड़ी बात यह है कि इससे आयात कम होगा और भारत यूरिया और डीएपी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।’’
शाह ने कहा कि इन उपायों से भारत जो उर्वरक सब्सिडी बचाएगा वह किसानों को वापस मिल जाएगी और इससे किसानों और देश दोनों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को व्यवहारिक बनाने के लिए काम किया है और उनसे अपने उपनियमों को बदलने और अधिक लाभ के लिए मॉडल उपनियमों को स्वीकार करने का आग्रह किया है।
मंत्री ने कहा कि कम से कम 15,000 पीएसीएस सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) बन गए हैं जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र के रूप में काम करते हैं।
सत्तर एकड़ में फैला कांडला संयंत्र 350 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह देश और विदेश में आपूर्ति के लिए 500 मिलीलीटर वाली 2 लाख नैनो बोतलों का उत्पादन करेगा।
इफको के अनुसार, नैनो यूरिया तरल एक पर्यावरण-अनुकूल, उच्च पोषक तत्व उपयोग दक्षता वाला स्मार्ट उर्वरक है और प्रदूषण को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग में कमी के लिए एक स्थायी समाधान है, जो इसे पारंपरिक यूरिया का एक मजबूत विकल्प बनाता है।