खालिस्‍तान पर भारत और कनाडा में खिंची तलवारें, राजनयिक निष्‍कासित, क्‍या और बिगड़ेंगे संबंध, समझें

ओटावा: मंगलवार तड़के जब भारत में लोग जागे तो उन्‍हें कनाडा से एक ऐसी खबर मिली जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या का आरोप लगा दिया। इसके साथ ही शीर्ष भारतीय राजनयिक को भी कनाडा से जाने के लिए कह दिया गया। भारत ने भी एक्‍शन लिया और कनाडा के राजनयिक को पांच दिन के अंदर उनके देश चले जाने के लिए कह दिया। विदेश नीति के जानकारों की मानें तो ये रिश्‍ते अब ऐसी जगह पर पहुंच गए हैं जहां से इनके सामान्‍य होने की उम्‍मीद फिलहाल करना बेमानी होगा। आखिर ऐसा क्‍या हुआ जो भारत और कनाडा के रिश्‍ते इतने बिगड़ गए। जी20 सम्‍मेलन बना ट्रूडो की शर्मिंदगी नौ और 10 सितंबर को भारत में जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्‍मेलन के दूसरे दिन हर वीआईपी अपने देश रवाना हो गया था। लेकिन पीएम ट्रूडो दो दिन बाद मंगलवार को दिल्ली से रवाना हो सके। उनकी यह विदाई उनके लिए शर्मिंदगी से कम नहीं थी। उनके विमान में खराबी आ गई थी और इसे ठीक करने में समय लगा। हालांकि भारत सरकार ने उन्हें वापस उड़ान भरने के लिए एयर इंडिया वन की पेशकश की, लेकिन ट्रूडो ने इनकार कर दिया। उन्‍होंन अपने विमान के उड़ान भरने तक इंतजार करने का फैसला किया। ट्रूडो ने अपने देश में खालिस्तानी तत्वों को खुली छूट दी है। इसके कारण भारत के साथ संबंधों में लगातार गिरावट बनी हुई है। पीएम मोदी ने दी हिदायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के दौरान भी उन्‍हें सख्‍त शब्‍दों में हिदायत दी गई। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत का रीडआउट आने के बाद से ट्रूडो का एक भी अतिरिक्‍त दिन भारत में रुकना काफी म‍ुश्किल होता जा रहा था। पीएम मोदी ने ट्रूडो से कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों पर कड़ी चिंता व्यक्त की थे। ये खालिस्‍तानी तत्‍व लगातार अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं। ट्रूडो को बताया गया कि ये राजनयिक परिसरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और साथ ही कनाडा में मौजूद पूजा स्थलों में भारतीय समुदाय को धमकी दे रहे हैं।खालिस्‍तानियों को खुली छूट कनाडा में सेवा दे चुके भारतीय राजनयिकों की मानें तो देश की सरकार खालिस्तानियों को प्रबंधित करने में विफल रही है। इसकी वजह है जगमीत सिंह की खालिस्तान समर्थक न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से ट्रूडो सरकार को दिया गया राजनीतिक समर्थन। भारत को इस बात पर भी सख्‍त ऐतराज है कि खालिस्‍तान की बात करते ही ट्रूडो यह समझने लगते हैं कि भारत कनाडा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। ट्रूडो के इस आरोप का भारत ने खंडन किया है। भारत का मानना है कि कनाडा की सरकार खालिस्तानी समूहों से निपटने में उदार रही है। अब आगे क्‍या कनाडा और भारत के रिश्‍ते अब कैसे होंगे, यह बात मंगलवार को हुए घटनाक्रम से साफ हो गई है। नौ साल तक सत्ता में रहने के बाद ट्रूडो को उनकी पार्टी द्वारा बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। भारत केवल यह आशा कर सकता है कि नया पदाधिकारी, चाहे वह कोई भी हो, कनाडा में खालिस्तानियों पर नकेल कसने और भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता देने के लिए अधिक इच्छुक होगा।