मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव’ के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत की सोच ही वैज्ञानिक है. साइंटिफिक सोच भारत की जड़ों में है. आज से हजारों साल पहले से भी भारत प्रौद्योगिकी में बहुत आगे है. जब कोविड का कठिन काल आया तो हमने कल्पना भी नहीं की थी कि हमारी स्वदेशी वैक्सीन बन जाएगी. वैज्ञानिक पहले भी थे, लेकिन सशक्त लीडरशिप नहीं थी. हमारे वैज्ञानिकों ने दो वैक्सीन बना दी और विदेशों में भी भेजी गईं. 200 करोड़ से ज्यादा डोज लगाए जा चुके हैं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एक जमाना था, जब भारत के उपग्रह कोई और लॉन्च करता था. आज हम न सिर्फ अपने बल्कि अन्य देशों के उपग्रह भी लॉन्च कर रहे हैं. विज्ञान को टेक्नोलॉजी की जननी माना जाता है, लेकिन उससे भी आगे कुछ है तो वो है जिज्ञासा. जिज्ञासा से ही इनोवेशन होते हैं और अनुसंधान होते हैं. जब न्यूटन के सामने पेड़ से सेब जमीन पर गिरा तब उनकी जिज्ञासा के कारण ही गुरुत्वाकर्षण का पता लग पाया.
जिज्ञासा के कारण ही हम मंगल ग्रह तक पहुंचे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अलग-अलग रसायनों को मिलाकर कोई नया रसायन बनाना जिज्ञासा ही है. जिज्ञासा ही मानव को चांद पर लेकर गई. जिज्ञासा के कारण हम मंगल ग्रह तक पहुंचे. भारत स्टार्टअप्स के ईको सिस्टम में दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गया है. ये जिज्ञासा और जानने की इच्छा मन में बनी रहना चाहिए. आपके अंदर जिद भी होना चाहिए, क्योंकि जो आप सोचते हो, उसे जमीन पर उतारने के लिए जिद की जरूरत होती है.
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण हो रहा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक गौरवशाली, वैभवशाली, शक्तिशाली, समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण हो रहा है. उनकी सोच भी साइंटिफिक है. एक तरफ हमने योग, ध्यान, प्राणायाम और समाधि के जरिए ब्रह्मांड के सत्य को खोजने की कोशिश की. विमान की कल्पना हजारों साल पहले से ही भारत में थी. भारत के खगोल विज्ञानी भास्कराचार्य ने न्यूटन से सदियों पहले साबित किया था कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को एक विशेष शक्ति के साथ अपनी ओर आकर्षित करती है.
तक्षशिला और बनारस औषधि विज्ञान के बड़े केंद्र बनकर उभरे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अथर्ववेद में पहली बार लक्षणों के आधार पर ज्वर, खांसी, कुष्ठ जैसे रोगों की चिकित्सा का वर्णन मिलता है. ईसा से 600 साल पहले तक्षशिला और बनारस औषधि विज्ञान के बड़े केंद्र बनकर उभरे थे. चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में हर प्रकार की चिकित्सा का वर्णन है. ये हम नहीं कहते, जमाना कहता है. कोई ये न समझे कि हमने विज्ञान पश्चिम से लिया है. नवग्रह हमारे लिए कोई नए नहीं हैं. हमारे ऋषि इनके बारे में सालों पहले से जानते हैं.