शाजापुर में स्थित मां राजराजेश्वरी मंदिर देश के प्रमुख देवी मंदिरों में से एक है. मंदिर के पास नदी के दूसरे किनारे श्मशान है, इसलिए यह स्थान तंत्र क्रियाएं सिद्ध करने वालों के लिए विशेष माना जाता है. देशभर से यहां तांत्रिक भी आते रहे हैं. मंदिर के विस्तार के दौरान की गई खुदाई में माता का चरण, चिमटा व त्रिशूल मिलने से लोगों की आस्था और बढ़ गई थी. स्कंद पुराण में मां राजराजेश्वरी मंदिर को शक्तिपीठ बताया गया है. इसके दर्शन मात्र से ही लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि हवन की आग में झुलसी मां पार्वती को लेकर घूमते समय उनके एक-एक अंग गिरते रहे. इसी दौरान शाजापुर में मां का दाहिना पांव गिरा था जो आज भी मंदिर के गर्भगृह में है.
दर्शन मात्र से होती है मनोकामना पूर्ण
ऐसी मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से ही लोगों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. प्रसिद्ध मां राजराजेश्वरी का मंदिर शाजापुर के चंद्रभागा नदी तट पर स्थित है. चंद्राकार स्थान में श्मशान होने से इसकी महत्वता और बढ़ गई है. खासकर तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है. स्कंद पुराण में इसे शक्तिपीठ बताया गया है. मान्यता है कि शक्तिपीठ के दर्शन मात्र से ही लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
50 साल से जल रही अखंड ज्योत
शक्ति पीठ मां राजराजेश्वरी के इस मंदिर में पिछले 50 साल से भी अधिक समय से अखंड ज्योत जल रही है. पुजारी पं.आशीष नागर ने बताया कि स्थापित मां की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. पूर्व में यहां आरती के समय शेर भी आकर मां के दरबार में हाजरी लगाता था, जिसके कारण हवनकुंड के स्थान पर शेर की प्रतिमा स्थापित की गई है. प्राचीन इतिहास के अनुसार, 300 साल पहले सन 1781 में मनीबाइ पलटन ने भूमी का बड़ा हिस्सा दान में दिया था. इस मंदिर में मूर्ति की ऊंचाई 6 फीट है. यहां पर ऋद्धि-सिद्धि और गणपति की मूर्तियां भी स्थापित की गयी हैं. मंदिर को आस्था का एक बड़ा केंद्र माना जाता है. मंदिर के शिखर वाले हिस्से में सामने की ओर महात्रिपुर सुंदरी माँ श्री राज राजेश्वरी अंकित हैं. शाजापुर में मां राजराजेश्वरी के दर्शन करने के लिए कई अभिनेता और अभिनेत्री भी आए हैं. कई भक्तों का मानना है कि उनकी मनोकामना पूरी माता के दर्शन से हो पाई है.