बिहार के अंतिम दो चरणों में किसके खाते में ज्यादा सीटें? बढ़त बनाएंगे तेजस्वी या NDA के हाथ में होगी बाजी, पढ़ें कंपलीट रिपोर्ट

पटना: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 24 पर सोमवार को मतदान हो रहा है> इस महत्वपूर्ण चुनावी राज्य में पांच कारण पूरी तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी दल इंडी गठबंधन को जीत का भरोसा दिला रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई इलाकों में स्थानीय मुद्दे आज भी हावी हैं। केंद्रीय स्तर की योजनाओं की चर्चा जरूर है, लेकिन स्थानीय मुद्दों को नकारा नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री पूरे राज्य में एक मेन फैक्टर हैं। लोग उन्हें सपोर्ट करने की बात कह रहे हैं। हालांकि, स्थिति पिछले दो संसदीय चुनावों की तरह नहीं हैं। बिहार भर के निर्वाचन क्षेत्रों में दर्जनों मतदाताओं ने कहा कि देश को चलाने के लिए मोदी अभी भी सबसे अच्छे विकल्प हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उनका चुनावी संदेश अब पूर्वानुमानित और दोहरावपूर्ण लगता है।वोटरों की राय ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की ओर से कई इलाकों के वोटरों से बातचीत की गई। उन्होंने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि किसी एक कारक के बजाय कई स्थानीय कारक खेल में हैं। आख़िर रोटी हमेशा राम से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है। भूखे भजन न होई गोपाला। रोजगार के अधिक अवसर मिलने चाहिए। ये बातें सिवान के एक स्टोर चलाने वाले वोटर ने कही। रोसरा, समस्तीपुर में फल दुकान के मालिक भवन झा ने कहा कि मोदी ने हिंदुओं को बड़ी दृढ़ता का एहसास कराया। लालू प्रसाद के रहते मैं टीका नहीं लगा पाता…मोदी ने भी खूब विकास किया। यहां तक कि रोसरा जैसे छोटे शहर में भी बहुत सारे ऑटो रिक्शा हैं जो किसी भी रैली की तुलना में अधिक ट्रैफिक जाम का कारण बनते हैं। वोटर मोदी के पक्ष में वोटरों ने कहा कि इससे यह भी पता चलता है कि हम प्रगति कर रहे हैं। समस्तीपुर के हावपुर गांव के किसान संतोष कुमार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताते हुए कहते हैं कि मोदी हमारे लिए कोई कारक नहीं हैं। हमें एक सांसद की जरूरत है जिससे हम मदद के लिए संपर्क कर सकें। पीएम मोदी के लिए यह कहना आसान है कि वह हर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसा कहना बिल्कुल अलोकतांत्रिक है। हम ऐसा सांसद चाहेंगे जो राष्ट्रवादी नारे लगाने वाले के बजाय स्थानीय मुद्दों का ध्यान रख सके। बिहार में महिलाएं बड़ी संख्या में वोट देने के लिए निकल रही हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, पहले चार चरणों में महिलाओं और पुरुषों के मतदान के बीच का अंतर 6 प्रतिशत अंक से लेकर 10 प्रतिशत अंक तक रहा है। महिलाओं का एनडीए को समर्थनबिहार में विधानसभा चुनावों सहित पिछले कुछ चुनावों में महिलाओं के बीच अधिक मतदान का एक कारण महिलाओं के बीच “जाति-तटस्थ” निर्वाचन क्षेत्र बनाने में एनडीए की सफलता रही है। मोदी के लिए गरीब, किसान और युवा समेत महिलाएं उनकी कल्याणकारी योजनाओं का लक्ष्य समूह हैं। पीएम के शब्दों में, महिलाएं “चार सबसे बड़ी जातियों” में से एक हैं। भाजपा के सहयोगी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी योजनाओं से महिलाओं के बीच जदयू के लिए एक सीट तैयार की है। यह 2009 के लोकसभा और 2010 के विधानसभा चुनावों में दिखाई दिया, लड़कियों के लिए उनकी साइकिल योजना। मास्टर कोर्स करने वाली महिलाओं के लिए फीस माफी एक बड़ी हिट योजना रही। मोदी के लिए, मुफ्त राशन जैसी उनकी योजनाएं दलित और अत्यंत पिछड़े वर्ग (ईबीसी) समुदायों की महिलाओं के बीच सबसे लोकप्रिय हैं।तेजस्वी का फैक्टरउधर, तेजस्वी यादव लगातार जनसभा कर रहे हैं। कमर का बेल्ट दिखाते हैं। लोगों को 17 महीने बनाम 17 साल का उदाहरण देते हैं। तेजस्वी यादव सीधे नीतीश कुमार पर हमला करने से बच रहे हैं। जानकार मानते हैं कि तेजस्वी यादव को लगता है कि यदि जेडीयू ने लोकसभा चुनाव में ठीक प्रदर्शन नहीं किया, तो वे फिर पाला बदल सकते हैं। तेजस्वी यादव लगातार हमला करते हुए नौकरी देने की बात कहते हैं। लोगों को कहते हैं कि एक करोड़ नौकरी देंगे। वे हमेशा लोगों से अपने घोषणा पत्र की बात करते हैं। वे दवाई, कमाई और रोजगार जैसे मुद्दों को लेकर चल रहे हैं। स्थानीय स्तर पर ये मुद्दे लोगों के जेहन में हैं, लेकिन देश के लिए लोग मोदी को सपोर्ट करने की बात कहते हैं। लोगों में आज भी लालू यादव के शासन का वो डर बैठा हुआ है, जिसे नीतीश कुमार लगातार मंच से बोलते रहते हैं। कुल मिलाकर तेजस्वी बढ़त बनाएंगे या उनकी मंशा पर मोदी मैजिक पानी फेर देगा, ये देखने वाली बात होगी।