
में मुंबई पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगे हैं। उसने मामले में गलती पर गलती की हैं। आफताब श्रद्धा के साथ पहले से बर्बरता करता आ रहा था। इस बाबत श्रद्धा ने 23 नवंबर 2020 में पहली शिकायत की थी। यह शिकायत तुलिंज पुलिस स्टेशन में दी गई थी। इसमें श्रद्धा ने आफताब के खिलाफ मारपीट, हत्या और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। उसने यह भी बताया था कि वक्त रहते कार्रवाई नहीं हुई तो आफताब उसके टुकड़े-टुकड़े कर दूर फेंक देगा। छह महीने से आफताब उसे पीट रहा है। लेकिन, वह सिर्फ इस डर से पुलिस को कुछ नहीं बता पा रही है क्योंकि उसे अपनी जान का डर है। लेटर में साफ तौर पर श्रद्धा ने कहा था कि आफताब के मां-बाप की मर्जी से दोनों शादी करने वाले हैं। हालांकि, वह उसके साथ रहना नहीं चाहती है।
महाराष्ट्र पुलिस ने कदम-कदम पर कीं गलतियां महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले पर यह कहकर पल्ला झाड़ा है कि जांच अधिकारी उनके घर गए थे। लेकिन, श्रद्धा ने मामले की जांच आगे करने के लिए मना कर दिया था। साथ ही शिकायत भी वापस ले ली थी। साफ है कि पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को नहीं समझा। उसने एक बार नहीं सोचा कि श्रद्धा ने शायद दबाव में आकर अपनी शिकायत वापस ली हो। अगर महाराष्ट्र पुलिस वाकई गंभीर होती तो वह आफताब को ट्रैक करती। ऐसे मामलों में पुलिस यह करती भी है।
निठल्लेपन के कई सबूत
उसके निठल्लेपन का सबूत यह भी है कि श्रद्धा के पिता ने 6 अक्टूबर को बेटी के लापता होने के बारे में सतर्क किया था। हालांकि, मानिकपुर पुलिस ने 10 अक्टूबर को वसई में गुमशुदगी का मामला दर्ज किया था। उसने आफताब को 20 दिन बाद 26 अक्टूबर को दिल्ली से पूछताछ के लिए बुलाया था। अगर पुलिस ने 6 अक्टूबर को ही कार्रवाई की होती तो शायद उसे कुछ सफलता हाथ लगती। दिल्ली पुलिस के 18 अक्टूबर को बरामद सीसीटीवी फुटेज में आफताब सुबह 4 बजे बैग लेकर घूमता नजर आ रहा है।