
गत 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमले शुरू किए थे। रूस ने 9 महीने की जंग के बाद एक बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया है। यूक्रेन की सेना ने रूस से खेरसॉन समेत कई इलाकों को मुक्त कराया है लेकिन वह अभी भी दोनबास के बडे़ शहरों जैसे मारियूपोल पर फिर से कब्जा नहीं कर सकी है। रूसी सेना और यूक्रेन के बीच भीषण घमासान हर दिन जारी है। इस जंग में रूस और नाटो देशों दोनों के ही हथियारों के भंडार खाली हो गए हैं। इसके बाद भी वे हार मानने को तैयार नहीं हैं। इस जंग के शुरू होने के बाद भारत ने यूक्रेन को मानवीय मदद तत्काल देने का ऐलान किया था। हालांकि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ आए प्रस्तावों का अब तक समर्थन नहीं किया है। वहीं पीएम मोदी ने पुतिन के सामने खुलकर कहा है कि यह दौर युद्ध का नहीं है और हमें शांति के रास्ते को तलाशना होगा।
‘मोदी-जिनपिंग के पास सफल होने की सबसे ज्यादा संभावना’
भारतीय प्रधानमंत्री के इस बयान को जी-20 देशों के संयुक्त बयान में भी शामिल किया गया। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी साफ कर दिया है कि वह रूस अपने स्टैंड को किसी के दबाव में बदलने नहीं जा रहा है। वहीं इस युद्ध के भीषण रूस धारण करने के बाद अब वैश्विक ऊर्जा और खाद्यान संकट बढ़ता जा रहा है जिससे भारत को अपनी रूस नीति को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अमेरिका के थिंकटैंक रैंड कार्पोरेशन के हिंद प्रशांत मामलों के विशेषज्ञ डेरेक जे ग्रॉसमैन का कहना है, ‘मैं नहीं समझता हूं कि कोई भी व्यक्ति पुतिन को हमले रोकने के लिए सहमत कर सकता है। न ही पीएम मोदी और न ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग। लेकिन इन दोनों ही नेताओं के ही निश्चित रूप से सफल होने की संभावना है। न तो बाइडन और न ही पश्चिम के किसी और नेता के पास ऐसी क्षमता है।’
वहीं भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध पर नीति बदलाव के दौर में है। उनका कहना है कि पिछले 10 महीने में भारत की युद्ध में मध्यस्थता का दायरा बढ़ गया है। इसके जरिए रूस को भारत संकेत दे रहा है कि अब युद्ध को खत्म करने का समय आ गया है। भारत दिसंबर से जी-20 की अध्यक्षता करने जा रहा है। ऐसे में इस युद्ध को खत्म कराने में भारत की मध्यस्थता की ताकत और बढ़ जाएगी। विदेश नीति पर जर्मन काउंसिल में फेलो जॉन जोसेफ विलकिंस का कहना है कि भारत के लिए जी-20 एक नई जिम्मेदारी है। भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता की सुरक्षा पर फोकस कर सकता है। पुतिन ने भी भारत की चिंताओं को स्वीकार किया है और कहा है कि इस संकट को खत्म करने के लिए जितना जल्द हो सके, वह कदम उठाएंगे।
भारत-रूस व्यापार में रेकॉर्ड वृद्धि, हिंदुस्तान का दबदबा बढ़ा
पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद अब रूस भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत कर रहा है। भारत रूस से फर्टिलाइजर का बड़े पैमाने पर आयात कर रहा है। इसके अलावा तेल के आयात में रेकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है। रूस भारत को सस्ता तेल मुहैया करा रहा है। भारत और रूस के बीच इस साल जुलाई तक 11 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है जबकि साल 2021 में कुल व्यापार मात्र 13.6 अरब डॉलर का था। भारत और रूस इस व्यापार को साल 2025 तक 30 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखते हैं। रूस को काउंटर करने के लिए अब यूरोपीय देश भी भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते को बढ़ा रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन की जंग की वजह से भारत का वैश्विक स्तर पर प्रभाव भी बढ़ गया है।