राम त्रिपाठी, महरौली: रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में अवैध निर्माण के खिलाफ डीडीए की कार्रवाई में तीन तथ्य उजागर हुए हैं। पहला, अवैध निर्माण पिछले पचास साल पहले से लेकर अब तक जारी थे। दूसरा, फॉरेस्ट एरिया में डीडीए की बाउंड्री को बिल्डर लगातार आगे खिसकाते गए। तीसरा, डीडीए ने कुछ संपत्तियों के खिलाफ कई साल पहले नोटिस जरूर जारी कर दिए, लेकिन कभी भी कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की। इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले दस-बारह सालों में वॉर्ड नं 8 (अंधेरिया मोड़) में 90 से अधिक अपार्टमेंट्स बन गए हैं। बताया जाता है कि पिछले पांच-छह साल में अवैध कब्जे करके अपार्टमेंट्स बनाने का धंधा बहुत तेजी से पनपा है। फॉरेस्ट एरिया की बाउंड्री को तोड़कर अवैध कब्जे धड़ल्ले से कर रहे हैं। वार्ड नं. 1 में आजादी के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को जगह आवंटित हुई थी। वॉर्ड नं. 3 और 5 में आवंटित प्लॉट अधिक हैं। उसी दौरान वार्ड-1 में अनेक संपत्तियां बन गई थीं। वार्ड नं.1, 7 और 8 लड्डा सराय रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में आते हैं।नोटिस भेजकर इतिश्री कर लेते हैं DDA अधिकारीडीडीए के सूत्रों ने बताया कि अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन नहीं लेना है। मगर अपनी नौकरी भी अधिकारी को बचानी है, तो वे नोटिस जारी करने की खानापूर्ति कर देते हैं। एक्शन कभी नहीं लिया जाता है। मामला बड़े स्तर पर उजागर होने पर वे बताते हैं कि नोटिस दिया जा चुका है। कार्रवाई नहीं होने का कारण वे फोर्स (पुलिस) नहीं मिलना और संबंधित कारण गिनाकर साफ बच जाते हैं। इसका फायदा अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर उठाते हैं। रिजर्व फॉरेस्ट का मामला इसका ताजा प्रमाण है।’हम पर ज़ुल्म किया जा रहा है’ डीडीए अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि फॉरेस्ट एरिया में कई साल पहले से एक्शन लिया जाता तो इतनी गंभीर स्थिति पैदा नहीं होती। अब तो फॉरेस्ट एरिया की करीब 7 एकड़ में अवैध निर्माण हो चुका है। अधिकारी मानते हैं कि बिल्डर के साथ डीडीए के संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर सैकड़ों अपार्टमेंट्स नहीं बन सकते थे।