क्राइम कंट्रोल के मास्टर, लालू राज में अपराधियों पर चलाया था कोड़ा, DGP भट्टी फिर दिखाएंगे हनक?

पटना : बिहार के नए डीजीपी () ने मोर्चा संभाल लिया है। क्राइम कंट्रोल करने का उनका अपना एक अलग स्टाइल है। दूसरे के सिर इल्जाम थोपने के बजाय वो अपनी कमियां उजागर कर आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि सीएम नीतीश ने उन पर अपना भरोसा जताया। मुख्यमंत्री ने देखा कि राज्य में क्राइम का ग्राफ बढ़ रहा है। शराब और बालू माफिया लगातार सरकार की परेशानी बढ़ा रहे हैं। इसी बीच उन्हें अपने स्टाइल में काम करने वाले आरएस भट्टी की याद आई और फिर उनके हाथों में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की कमान सौंप दी।

ऐसा नहीं कि डीजीपी पद के लिए आरएस भट्टी अकेले दावेदार थे। हालांकि, जिस तरह से लालू-राबड़ी की सरकार में आरएस भट्टी ने अपराधियों पर नकेल कसा था, नीतीश कुमार को आज वैसे ही पुलिस पदाधिकारी की जरूरत थी। राजविंदर सिंह भट्टी को डीजीपी बनाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि वे बिहार के निवासी नहीं हैं। ऐसा माना जाता है कि बिहार के पदाधिकारियों का स्थानीय राजनीति और स्थानीय संबंध कभी-कभी हावी हो जाता है। भट्टी, चूंकि बिहार से बाहर के हैं तो सरकार इस बात से निश्चिंत होगी कि वे किसी राजनीति से प्रभावित होंगे।

IG, डीआईजी पोस्ट को भी किया एक्टिव

राज्य में आईजी और डीआईजी का पद बेहद अहम माना जाता है। डीजीपी आरएस भट्टी ने आते ही इन पदों को और जवाबदेह बनाने की शुरुआत कर दी है। जिले में एसपी सर्वेसर्वा होते हैं। हालांकि, डीजीपी भट्टी के अनुसार, वे अब एसपी से सीधे नहीं बल्कि आईजी, डीआईजी के माध्यम से जुड़ेंगे। इससे जिला स्तर पर पुलिस पदाधिकारी भी सक्रिय रहेंगे। दूसरी ओर आईजी , डीआईजी का भी जिला स्तर के प्रशासन पर नजर भी होगा। जिले के जिम्मेवार पदाधिकारी को भी लगेगा मेरे ऊपर सीधे किसी की नजर भी है। आईजी के सक्रिय रहने से कोई भी निर्देश तुरंत मिलेगा। जिला स्तर पर हो रही किसी भी कार्रवाई के लिए प्लानिंग और उस प्लानिंग का नियंत्रण भी आईजी के पास होगा तो पुलिस बल का मनोबल भी काफी ऊंचा रहेगा।

आते ही हनक स्थापित कर गए भट्टी!

हालांकि, जब नीतीश सरकार आरएस भट्टी को डीजीपी बनाने का फैसला कर चुकी थी तब वे दिल्ली में थे। वहीं से राज्य के उन जिलों की खबर ले रहे थे जहां क्राइम का ग्राफ ज्यादा था, शराब जहां बनाई जा रही थी। यही वजह भी थी कि आते ही शराब माफिया पर नकेल कसते हुए एक साथ कई जगहों पर छापेमारी की गई। पटना और बेतिया में सफलता भी मिली। इन दोनों जगहों पर पुलिस को काफी मशक्कत भी करनी पड़ी। लेकिन जिद पर अड़े आरएस भट्टी ने बड़ी कार्रवाई के बाद ही राहत की सांस ली।

कमियों का ठीकरा खुद के सिर फोड़ा

क्राइम कंट्रोल के मद्देनजर आरएस भट्टी ने सबसे पहले कमियां पुलिस विभाग के अंदर ढूंढी। उन कमियों से राज्य सरकार को अवगत भी कराया। सबसे पहले पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाया और एक मीटिंग में निर्देश जारी करते थाना प्रभारियों को निर्देश भी दिया कि आपकी मूवमेंट कम रहने के कारण क्राइम बढ़ रहा है। अपराधियों के विरुद्ध दबिश लगातार जारी रखनी होगी। आपको अपराधियों के पीछे दौड़ना होगा नहीं तो वो आपको दौड़ाएंगे। अपराधियों को सोचने देने का मतलब है क्राइम के ग्राफ का बढ़ना। आरएस भट्टी ने केवल थाना प्रभारियों की ही क्लास नहीं ली। उन्होंने एसपी तक को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जिस थाने में क्राइम ज्यादा हो रहा है वहां हफ्ते में एक बार जरूर जाएं।

पूर्व डीजीपी आशीष रंजन क्या कहते हैं?

आशीष रंजन सिन्हा का मानना है कि बिहार की जो स्थिति है उसके अनुकूल आरएस भट्टी का चयन एकदम सही है। वैसे उनके सामने चैलेंज बहुत कठिन है। बालू और शराब माफिया के साथ उन्हें राज्य में बढ़ते क्राइम से भी भिड़ना है। उनकी सक्रियता से बिहार को फायदा होगा। इनकी कार्यशैली के आगे बड़े-बड़े अपराधी ने घुटने टेक दिए थे। आईजी और डीआईजी को सक्रिय करना और जवाबदेह बनाना भी अच्छी पहल है।