दिल्ली में 6 साल में 8 हजार लोग बन चुके हैं आवारा कुत्तों का शिकार, डरा रहे हैं ये आंकड़े

नई दिल्ली: लुटियंस जोन के तुगलक रोड इलाके में शनिवार को कुत्तों के हमले में डेढ़ साल की एक बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई। इसके बाद भी एनडीएमसी के पास कुत्तों के आतंक पर रोक लगाने के लिए स्टरलाइजेशन के अलावा कोई खास इंतजाम नहीं है। पिछले 6 साल में एनडीएमसी एरिया में 7978 लोग कुत्तों के शिकार हुए हैं। एनडीएमसी के पास आवार कुत्तों को पकड़ने के लिए न तो कोई पर्याप्त टीम है और न ही डॉग कैचर गाड़ियां हैं। कुत्तों को पकड़ने का कमान एनडीएमसी ने दो एनजीओ को सौंप रखा है।हर साल बढ़ रहे कुत्तों के हमले के मामलेआवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एनडीएमसी के पास न तो पर्याप्त डॉग कैचर टीम है और न ही डॉग कैचर गाड़ियां हैं। आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए भी एनडीएमसी के पास कोई खास टीम नहीं है। इन्हें पकड़ने के लिए एनडीएमसी के पास हायर की गई एक कैटल कैचर वीइकल है, जिसका कॉन्ट्रैक्ट जनवरी में खत्म हो गया था। वर्तमान में एनडीएमसी के पास कोई कैटल कैचर वीइकल भी नहीं है। मैन पावर की कमी के चलते घटनाएं बढ़ रही हैं। कुत्तों के स्टरलाइजेशन के लिए एनडीएमसी ने दो गैर-सरकारी संस्थाओं को कॉन्ट्रैक्ट दे रखा है।NDMC एरिया में कुत्तों को काटने की घटनाएंअफसरों को थी डॉग शेल्टर की जानकारीतुगलक रोड में जिस जगह कुत्तों ने डेढ़ साल की बच्ची को नोच-नोच कर मार डाला, वहां लंबे समय से अस्थायी डॉग शेल्टर चल रहा था। यह जानकारी एनडीएमसी के पब्लिक हेल्थ विभाग को भी थी। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं की गई। घटना के बाद पब्लिक हेल्थ विभाग के अफसरों पर सवाल खड़े रहे हैं कि जब अफसरों को इस अस्थायी डॉग शेल्टर के बारे में जानकारी थी, तो उन्होंने उसे हटाया क्यों नहीं?