आज बजट समझना है तो इन चीजों के बारे में जान लें, वित्त मंत्री के मुंह से पक्‍का निकलेंगे ये शब्‍द

नई दिल्‍ली: कुछ घंटों में वित्‍त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी। यह उनका पांचवां बजट होगा। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह अंतिम पूर्ण बजट होगा। यही कारण है कि इसे लेकर काफी उम्‍मीदें भी हैं। ज्‍यादातर को लगता है कि यह लोकलुभावन हो सकता है। यह सस्‍पेंस भी कुछ देर में खत्‍म हो जाएगा। ज्‍यादातर लोग बजट की बा‍रीकियों को नहीं समझते हैं। इसे वास्‍तव में समझना है तो कुछ आंकड़ों पर आपको ध्‍यान देना होगा। ये हर एक बजट से जुड़े होते हैं। इन्‍हें समझे बगैर शायद ही आप बजट को अच्‍छी तरह समझ पाएं। इनका जिक्र हर बजट में होता है। बजट आपको तभी उबाऊ नहीं लगेगा जब इन्‍हें आप जानेंगे ओर समझेंगे। आइए, यहां ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में जानते हैं जिन पर एक्‍सपर्ट्स की नजर होगी। राजकोषीय घाटा सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को राजकोषीय घाटा यानी फिस्‍कल डिफिसिट कहते हैं। इससे पता चलता है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत है। फिस्‍कल डेफिसिट के आंकड़ों पर करीब से नजर होगी। लोग जानना चाहेंगे कि सरकार फिस्‍कल कंसोलिडेशन के रास्‍ते पर बढ़ती है या फिर वोटरों को लुभाने के लिए तिजोरी का मुंह खोलती है। नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ सरकार के राजस्‍व अनुमान को समझने के लिए इस आंकड़े पर नजर रहेगी। एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों की गणना जब बाजार मूल्यों या करेंट प्राइस पर होती है तो जीडीपी की जो वैल्यू प्राप्त होती है उसे नॉमिनल जीडीपी कहते हैं। नॉमिनल जीडीपी में देश की जीडीपी ज्‍यादा होती है। कारण है कि इसमें महंगाई की वैल्यू जुड़ी होती है। पिछले कुछ साल में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ (% में)

वित्‍त वर्ष ग्रोथ
2019-20 6.2
2020-21 -1.4
2021-22 19.5
2022-23 15.4*

(*पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार)बजट आकार बजट आकार से पता चलता है कि सरकार ने खर्च में किस तरह की बढ़ोतरी की है। ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रोत्‍साहनों का रास्‍ता अपनाया है या फिर इसमें हल्‍का-फुल्‍का सुधार किया है। क्‍या रहा है बजट साइज?

वित्‍त वर्ष बजट खर्च (लाख करोड़ रुपये में)
2019-20 27.86
2020-21 30.42
2021-22 34.83
2022-23 39.44

कैपिटल स्‍पेंडिंगइसमें कैपिटल एसेट बनाने के लिए ग्रांट और मनरेगा जैसी डिमांड आधारित स्‍कीमों के लिए आवंटन शामिल होता है। इंवेस्‍टमेंट ग्रोथ को सहारा देने के लिए सरकार के पूंजीगत खर्च की जरूरत है। कारण है कि प्राइवेट इंवेस्‍टमेंट ने अभी भी रफ्तार नहीं पकड़ी है। पिछले सालों में कितनी रही है कैपिटल स्‍पेंडिंग?

वित्‍त वर्ष बजट खर्च (लाख करोड़ रुपये में)
2019-20 8.76
2020-21 10.84
2021-22 7.7
2022-23 10.6

डिसइंवेस्‍टमेंट डिसइंवेस्‍टमेंट या विनिवेश के आंकड़े आइडिया देंगे कि सरकार चुनावी वर्ष में प्राइवेटाइजेशन की तरफ कितना आगे बढ़ेगी।पिछले सालों के आंकड़े क्‍या कहते हैं?

वित्‍त वर्ष बजट अनुमान (करोड़ रुपये में)
2019-20 105000
2020-21 210000
2021-22 175000
2022-23 65000

मार्केट बॉरोइंग मार्केट बॉरोइंग जिस हद तक होगी ब्‍याज दरों और बॉन्‍ड यील्‍ड पर उतना ज्‍यादा असर होगा। पिछले सालों में कितनी रही है मार्केट बॉरोइंग?

वित्‍त वर्ष मार्केट बॉरोइंग (लाख करोड़ रुपये में)
2019-20 7.1
2020-21 7.8
2021-22 12.05
2022-23 14.31

हेल्‍थ और एजुकेशन कोरोना के बाद सेहत और शिक्षा मुख्‍य प्राथमिकता बन गई है। इस साल का बजट दिखाएगा कि सरकार इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को किस तरह पुश करेगी। प्रमुख स्‍कीमें चुनावी वर्ष में मनरेगा और पीएम-किसान दो स्‍कीमें हैं जिनके बजट आवंटन पर सबकी नजर होगी। मनरेगा

वित्‍त वर्ष बजट अनुमान (करोड़ रुपये में)
2019-20 55000
2020-21 61500
2021-22 73000
2022-23 73000

पीएम-किसान

वित्‍त वर्ष बजट अनुमान (करोड़ रुपये में)
2019-20 75000
2020-21 75000
2021-22 65000
2022-23 68000

ग्रॉस टैक्‍स कलेक्‍शन किसी भी तरह के अनुमान के लिए अन्‍य प्राप्तियों के साथ टैक्‍स कलेक्‍शन के आंकड़े महत्‍वपूर्ण होते हैं। अगर यह कम रहता है तो उधारी बढ़ानी होगी या फिर खर्च में कटौती करनी होगी। कितना रहा है टैक्‍स कलेक्‍शन?

वित्‍त वर्ष टैक्‍स कलेक्‍शन (लाख करोड़ रुपये में)
2019-20 24.61
2020-21 24.23
2021-22 22.17
2022-23 27.57