इस बार गलती की तो घिर जाएगा चीन… ड्रैगन की हर चाल को नाकाम करने के लिए भारत ने बनाया खास प्लान

नई दिल्ली: वह युग चला गया जब कोई भी हमारी भूमि पर अतिक्रमण कर सकता था। अब, ‘सुई की नोक’ (भूमि का इंच) के बराबर भी भूमि का अतिक्रमण नहीं कर सकता। एक दिन पहले भारत के गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) से यह कहकर चीन (China) को करारा जवाब दिया। अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांव किबिथू में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम (Vibrant Village Programme) की शुरुआत करते हुए शाह ने कहा कि थलसेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के पराक्रम ने सुनिश्चित किया है कि कोई भी भारत की एक इंच भूमि तक का अतिक्रमण नहीं कर सकता। गृह मंत्री के अरुणाचल प्रदेश जाने का समय काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के लिए चीनी नामों की घोषणा कुछ ही दिनों पहले की। ड्रैगन इसे तिब्बत के दक्षिणी भाग के रूप में अपना दावा करता है। अमित शाह का दौरा और वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम दोनों की काफी चर्चा हो रही है। आखिर वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम है क्या और इससे चीन की बुरी नजर पर कैसे वार किया जा सकता है? वाइब्रेंट विलेज से मिलेगा चीन को करारा जवाबकेंद्र की वाइब्रेंट विलेज स्कीम चीन के मॉडल ‘जियाओकांग’ का जवाब है। चीन लंबे वक्त से एलएसी पर मॉडल डिफेंस गांव ‘जियाओकांग’ बना रहा है। 2021 में प्रकाशित अमेरिकी रक्षा विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैले 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी के साथ ऐसे 628 गांवों का निर्माण किया है। चीन को अब उसी के तरीके से जवाब देने की तैयारी है। पिछले साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में वाइब्रेंट विलेज परियोजना की घोषणा की थी। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के पूरी तरह विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख सहित उत्तर की सीमा से लगे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2,967 गांवों की पहचान की गई है। तीन साल की इस परियोजना के पहले चरण में 662 गांवों का विकास किया जाएगा। इनमें से 455 अरुणाचल प्रदेश में हैं।पीएम मोदी की है इस योजना पर है खास नजर सुनने में ऐसा लगेगा कि गांव से आखिर कैसे होगी सुरक्षा। लेकिन यह पूर्वोत्तर में चीन की विस्तारवादी नीति का मुकाबला करने का एक अच्छा तरीका है। जैसा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले इस योजना के महत्व के बारे में कहा था। सीमावर्ती गांवों से पलायन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बुरा है। यहां तक कि जीओसी-इन-सी, पूर्वी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल आर पी कलिता ने भी इसी तरह की टिप्पणी दोहराई और ठीक ठाक आबादी वाले सीमावर्ती गांवों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें एलएसी के हमारी तरफ के गांवों के निवासियों को वहां बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है और ऐसा होने के लिए हमें उन्हें सभी आधुनिक सुविधाएं और अच्छी आजीविका के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है। वाइब्रेंट विलेज स्कीम से मधुमक्खी पालन, कृषि उपज में सुधार, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने और उन्हें बाजार से जोड़ने जैसी गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। सीमावर्ती गांवों के लोग सुरक्षा बलों की आंख और कान का काम करते हैं। एलएसी के साथ गांवों में उनकी उपस्थिति चीन को एक प्रभावी काउंटर प्रदान करती है और इसलिए, ड्रैगन आसानी से इन क्षेत्रों पर अपना दावा नहीं कर सकता है। चीन को अमित शाह ने दिया करारा जवाबअमित शाह की अरुणाचल प्रदेश की बतौर गृह मंत्री यात्रा से चीन टेंशन में आ गया। चीन की ओर से इस यात्रा को लेकर सवाल उठाए गए लेकिन इसके विपरीत भारत की ओर से करारा जवाब दिया गया। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में किसी भारतीय नेता के जाने पर सवाल उठाया है। अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांव किबिथू में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर में विकास कार्य केंद्र की मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता हैं। शाह ने कहा कि वह युग चला गया जब कोई कोई भी हमारी भूमि का अतिक्रमण कर सकता था। शाह ने कहा 1962 में, जो कोई भी इस भूमि का अतिक्रमण करने आया, उसे यहां रहने वाले देशभक्त लोगों के कारण लौटना पड़ा। उन्होंने इस जगह को भारत का पहला गांव बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इन इलाकों के विकास के लिए और यहां रहने वाले स्थानीय लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कर उनकी मदद करने के वास्ते एक नीतिगत बदलाव लाया। गृह मंत्री ने कहा कि पहले, सीमावर्ती इलाकों से लौटने वाले कहा करते थे कि वे भारत के अंतिम गांव में गये, लेकिन मोदी सरकार ने इसे बदल दिया और अब लोग कहते हैं कि उन्होंने भारत के प्रथम गांव की यात्रा की। 1962 के युद्ध के दौरान अपने प्राण न्योछावर करने वाले किबिथू के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शाह ने कहा कि संसाधनों के अभाव के बावजूद वे अदम्य साहस के साथ लड़े। शाह ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में कोई भी नमस्ते नहीं बोलता क्योंकि लोग एक-दूसरे का अभिवादन जय हिंद के साथ करते हैं जो हमारे दिलों को देशभक्ति की भावना से भर देता है।