
जयशंकर ने कहा कि भारत ने पिछले नौ महीनों में अपने हितों का ध्यान रखा है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अपनी ‘विश्वसनीय’ स्थिति के साथ संयम का तरफदार है जो रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करना चाहता है और बाकी देशों के साथ काम करने में सक्षम है। जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान ऐसा मुद्दा है, जिस पर ऐतिहासिक रूप से पश्चिमी देशों के साथ हमारे मतभेद रहे हैं। मतभेद ऊपर-नीचे हुए हैं, लेकिन अभी तक दूर नहीं हुए हैं।
आतंकवाद पर क्यों एक जैसी भाषा नहीं बोलते पश्चिमी देश?क्या भारत की पोजिशन QUAD से अलग है? इस सवाल पर जयशंकर ने कहा कि QUAD देश कभी एक जैसी पोजिशन लेंगे, ऐसा तय नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि अगर किसी QUAD सदस्य देश को भारत से कोई उम्मीदें थीं, तो भारत की भी अपनी उम्मीदें थीं। जयशंकर ने कहा, ‘मेरा एक पड़ोसी है जो दिन-रात आतंकवाद फैलाता है। वे सब मिलकर क्यों नहीं वे बातें कहते जो मैं इस मसले पर बोल रहा हूं? आतंकवाद पर यह सामूहिक एकता कहां है, जो असल में काफी पुरानी समस्या है।’ जयशंकर ने कहा कि ‘मैं भी पाकिस्तान या अफगानिस्तान को चुनकर उनसे पूछ सकता हूं कि वे भारत के साथ क्यों नहीं खड़े हैं। उनमें से कई (भारत के साथ) नहीं हैं।’
‘संकट आएंगे, हमें तैयार रहना होगा’विदेश मंत्री ने कहा कि ‘हमने यूक्रेन युद्ध देखा है, हम कई देशों को प्रभावित करने वाली जलवायु घटनाओं को देख रहे हैं। हमें यह मानकर चलना होगा कि कई संकट आएंगे और हमें उसी के अनुसार तैयार रहने की जरूरत है।’ जयशंकर ने भविष्य के सवाल पर कहा कि ‘आगे का आधा दशक काफी तूफानी और चुनौतीपूर्ण लग रहा है। ऐसे में भारत को सही मार्गदर्शन देने वाले नेतृत्व की जरूरत है, जो अर्थव्यवस्था को सही ढंग से चलाकर भारत को आगे बढ़ा सके।’