पहला दिन
पाकिस्तानी आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस बात की संभावना बेहद कम है कि पाकिस्तान डिफॉल्ट होगा। इसके बावजूद अगर पाकिस्तान डिफॉल्ट होता है तो पहले दिन देश में गतिरोध काफी तेज रहेगा। सरकार के लिए यह आपातकालीन स्थिति होगी और वे मौजूदा हालात को समझने और उसका हल खोजने का प्रयास करेंगे। कर्ज देने वाले देश और संस्थान कर्ज या समर्थन के आकार पर पाकिस्तान के प्रति अपने दृष्टिकोण पर काम करना शुरू कर देंगे। बाजार और व्यवसाय में बड़ी गिरावट की शुरुआत होगी और कई कंपनियां, फैक्ट्रीज और सर्विसेज खुद को डिफॉल्ट घोषित करना शुरू कर देंगे। व्यापार बंद होने के कारण नौकरियों में भारी कटौती होगी, जिससे आर्थिक मंदी की शुरुआत माना जाएगा।
मीडिया पर नियंत्रण हासिल करेगी सरकार
पाकिस्तान सरकार मीडिया में देश के डिफॉल्ट घोषित होने के बाद बनी धारण और राय को नियंत्रित करने का प्रयास करेगी। उनका मकसद पैनिक को आम जनता में फैलने से रोकने की होगी। उन्हें शांत करने के लिए कर्ज देने वाले देशों और संस्थाओं के साथ संपर्क शुरू किया जाएगा। इसका समाज पर भी गंभीर प्रभाव देखने को मिलेगा। कीमतों में अनुपातहीन वृद्धि देखने को मिल सकती है, विशेष रूप से आयातित वस्तुओं की। कुप्रबंधन या पेट्रोल के कम स्टॉक से अराजकता बढ़ सकती है। लोगों को गैस और दवाइयों के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है। ऐसे में बीमार लोगों के इलाज पर भी डिफॉल्ट होने का असर पड़ने की संभावना है।
पहला महीना
इस बात की संभावना काफी ज्यादा है कि पहले महीने में आयात बंद होने, डेवलेपमेंट फंड पर प्रतिबंध होने, आवश्यक सार्वजनिक क्षेत्र के खर्च में कमी, व्यापार बंद होने और औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों से भारी छंटनी के साथ आर्थिक मंदी अपना असर दिखाना शुरू कर देगी। अनिश्चितता के कारण, बहुत से नागरिक अपनी बचत और निवेश को बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली से बाहर निकालने की कोशिश करेंगे। यह कुछ वित्तीय संस्थानों के बंद होने सहित आर्थिक स्थिति को और भी खराब कर देगा।
पहली तिमाही
डिफॉल्ट होने के कारण अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की भयावहता का आकलन करने के मामले में पहली तिमाही काफी चुनौतीपूर्ण होगी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आर्थिक संकट और सामाजिक अशांति को व्यापक रूप से महसूस किया जाएगा। कुछ राजनेताओं को इस अशांति को बढ़ाने और नकारात्मक भावना का उपयोग करके और सार्वजनिक विद्रोह का आग्रह करके अपनी शक्ति प्रकट करने का अवसर प्रदान करेगा। आर्थिक मोर्चों पर पूंजी का निकास देश से बाहर की तरफ शुरू हो जाएगा। हम दुबई और इसी तरह के गंतव्यों के लिए उड़ानों की ओवरबुकिंग देखेंगे। इसमें यात्री विदेशी मुद्रा ले जाने के लिए अपने भत्ते का पूरा उपयोग करेंगे। कीमतें नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी और पहली तिमाही में रुपये में काफी गिरावट आएगी।
पहला साल
पाकिस्तान की जीडीपी काफी कम हो जाएगी। जबकि कुछ उद्योग और सेवाएं अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू कर देंगी। आयात पर निर्भर क्षेत्रों को अभी और इंतजार करना होगा। ऊर्जा की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण, उत्पादन लागत बहुत अधिक हो जाएगी और कई क्षेत्रों में इसे वहन करने की क्षमता नहीं होगी। पहले वर्ष के भीतर, सरकार या यहां तक कि शासन मॉडल में परिवर्तन हो सकता है। आर्थिक शासन प्रणाली को फिर से तैयार करने का समय आ गया है जिसके बिना संकट से बाहर निकलना असंभव होगा।