हैदराबाद: असम में मुस्लिम मैरिज एक्ट खत्म किए जाने पर एमआईएमआईएम चीफ असुदद्दीन ओवैसी ने हमला बोला है। असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा है कि यह मजहब के खिलाफ कदम है। एआईएमआईएम के मुखिया ओवैसी ने बताया कि असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने मुस्लिम विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया है। पहले, विवाह का रजिस्ट्रेशन ‘काजी’ या विवाह रजिस्ट्रार के माध्यम से किया जाता था और लोगों को विवाह प्रमाण पत्र मिलता था। ओवैसी ने कहा कि अब उन्होंने इस हटा दिया है। ओवैसी ने सवाल दागते हुए कहा स्पेशल मैरिज एक्ट में ‘निकाह’ का कोई प्रावधान नहीं है, जो मुस्लिमों का धार्मिक अधिकार है। ओवैसी ने कहा कि हकीकत यह है कि असम सरकार मुसलमानों से उनके मजहबी अधिकार छीन रही है। यूसीसी की तैयारी में असम सरकार असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार की कैबिनेट बैठक में 23 फरवरी को मुस्लिम मैरेजेज एंड डायवोर्सेज एक्ट, 1935 को खत्म करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। सरकार के इस फैसले को राज्य में यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की सरकार की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य सरकार के फैसले के बाद असम के मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि वह जब तब जीवित हैं तब तक राज्य में किसी बच्ची का बाल विवाह नहीं होने देंगे। हिमंता बिस्वा सरमा राज्य में जल्द से जल्द यूनिफार्म सिविल कोड लागू करना चाहते हैं। उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने से पहले उन्होंने कहा था कि उन्हें वह के कानून का इंतजार है। इसके बाद असम सरकार आगे बढ़ेगी। एक ही एक्ट से सभी शादियां होंगी राज्य में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म कर दिया है। जिसके बाद अब असम में सभी शादियां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत ही होंगी। राज्य मंत्री जयंत मल्लबारुआ ने इसे यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की दिशा में एक बड़ा कदम मानते हुए कहा कि इससे राज्य में होने वाले बाल विवाह को रोका जा सकेगा। मल्लाबरुआ का कहना है की ‘आज असम समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ रहा हैं। इसी को लेकर मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।