मैं एक ऊंचे स्टूल पर बैठा था… इन्‍फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की जिंदगी का वो सबसे यादगार पल!

नई दिल्‍ली: इन्‍फोसिस देश की दिग्‍गज आईटी कंपनी है। इसकी नींव 1981 में ने रखी थी। मूर्ति के साथ नंदन नीलेकणि और क्रिस गोपालकृष्णन ने इन्‍फोसिस को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाया। साल 2002 तक नारायण मूर्ति ने इसकी कमान संभाली। उनके नेतृत्व ने इन्‍फोसिस ग्‍लोबल पावरहाउस में तब्‍दील हुई। इसने भारत के आईटी उद्योग को आकार दिया। इन्‍फोसिस के संस्‍थापक को आज भी वह दिन याद है जब 1999 में इन्‍फोसिस नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज में लिस्‍ट हुई थी। यह उनके सबसे गौरवपूर्ण लम्‍हों में से एक था। एनआर नारायण मूर्ति देश के आईटी लैंडस्‍केप में एक विजनरी लीडर हैं। उन्‍होंने 1981 में इन्‍फोसिस की स्थापना की थी। 2002 तक सीईओ के रूप में उन्‍होंने कंपनी का नेतृत्‍व किया। अपनी चार दशक की यात्रा में इन्‍फोसिस ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सफलताएं हासिल कीं। नंदन नीलेकणि और क्रिस गोपालकृष्णन जैसी अन्य हस्तियों के साथ मूर्ति ने इन्‍फोसिस को टॉप आईटी फर्म बनाया। मूर्ति ने शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में कहा, ‘जब हम नैस्डैक पर लिस्‍ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी बने तो मुझे याद है कि मैं उन चिलचिलाती रोशनी के सामने एक ऊंचे स्टूल पर बैठा था। मेरा मानना है कि हम एक ऐसे काम कर रहे थे जो पहले कभी किसी भारतीय कंपनी ने नहीं किया था।’इन्‍फोसिस की नैस्डैक लिस्टिंगमार्च 1999 में नैस्डैक लिस्टिंग इन्‍फोसिस का रणनीतिक कदम था। इसका उद्देश्य प्रमुख प्रतिभाओं को आकर्षित करना था। इसके साथ ही भविष्य के अधिग्रहण की सुविधा देना था। मूर्ति का फैसला इन्‍फोसिस के लिए महत्वपूर्ण छलांग थी। इससे कंपनी ग्‍लोबल पहुंच बनी। परिचालन क्षमताएं भी बढ़ीं। सुधा मूर्ति बनीं मूर्ति की सबसे बड़ी ताकतहाल ही में राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने वाली सुधा मूर्ति ने यह भी खुलासा किया था कि कैसे उन्होंने को लॉन्च करने के लिए शुरुआती पूंजी के रूप में अपने पति एनआर नारायण मूर्ति को 10,000 रुपये दिए थे। लेकिन, उन्होंने अपने सेविंग अकाउंट में 250 रुपये बनाए रखने का फैसला किया था। उन्‍हें पिछली असफलता के बाद जोखिम का डर था। 73 साल की इंजीनियर ने याद करते हुए बताया था कि कैसे उन्होंने अपने पति की 1981 की घोषणा का विरोध किया था कि वह एक सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू करना चाहते हैं। उन दोनों के पास पहले से ही आकर्षक रोजगार था।