पटना : को यूं बिहार की राजनीति का चाणक्य नहीं कहा जाता। उन्होंने जिस तरह से आरजेडी के तीन मंत्रियों का विभाग बदल कर एक तीर से दो शिकार किया, वो चौंकाने वाला है। सीएम नीतीश ने इस फैसले से एक तो बिहार की राजनीति में बदलाव के मिलते लगातार संकेत पर फिलहाल विराम लगा दिया। वहीं दूसरी तरफ अपने सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल को यह संदेश देने का काम किया कि गठबंधन की राजनीति में आपको जो बोलना हो या चाहे जो विचार हों पर मंत्रिपरिषद में सिर्फ मेरा चलेगा। उलटफेर की संभावना पर लगाया विराम!राज्य की राजनीति में इन दिनों नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने की लगातार आ रही खबरों के कारण नीतीश कुमार की राजनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे। वह भी इस कदर कि इन खबरों से परेशान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सीएम आवास पहुंच जाते हैं। राज्य में राजनीति के बदलते समीकरण जैसी खबरों के कारण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह भी सीएम दरबार में हाजिरी लगाते हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के इस आगमन पर राज्य में एनडीए की सरकार बनने की खबर कुछ ज्यादा ही परवान चढ़ने लगी। इस आग में घी डालने का काम अमित शाह के उस बयान ने किया जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई एनडीए का पुराना साथी आना चाहता है तो स्वागत है, अगर वे आग्रह करते हैं।इन सियासी घटनाक्रम के बीच ही नीतीश कुमार ने सभी को चौंकाते हुए आरजेडी कोटे के तीन मंत्रियों के विभाग को बदल कर खास संदेश दिया। उन्होंने ये जताने की कोशिश कर दी कि बिहार की महागठबंधन सरकार पर कोई खतरा नहीं है। अभी सरकार कार्य करेगी और जमकर करेगी। आरजेडी को भी धमकायामुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी के तीन मंत्रियों का विभाग बदल कर खास मैसेज दिया। उन्होंने आरजेडी के उन नेताओं को भी धमका डाला कि अनाप शनाप बोलेंगे या कोई ऐसा काम करेंगे जो सरकार की छवि खराब करेगा उसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। इन दिनों आरजेडी के कई सम्मानजनक नेता कुछ ऐसा बयान दे देते थे जो कभी कभी तो नीतीश कुमार और कभी कभी सरकार की छवि बिगाड़ने वाली होती थी। पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने तो नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट कृषि रोड मैप को ही लूट का पर्याय बना डाला। तब भी आरजेडी ने कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की। स्थितियां ऐसी बनी कि मंत्रिमंडल से सुधाकर सिंह बाहर ही गए।चंद्रशेखर की बयानबाजी पर एक्शन!इन दिनों नीतीश कुमार की सेकुलर छवि को बिगाड़ने का काम तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर कर रहे थे। तब तत्कालीन बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस की तुलना पोटेशियम साइनाइड से की थी। इससे पहले भी वो इस धर्म ग्रंथ को समाज को बांटने वाला बता चुके थे। यहां तक कि जन्माष्टमी के मौके पर मोहम्मद पैगंबर को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कह चुके थे। हालांकि नीतीश कुमार उनके इस बयान से खफा भी हुए थे और संकेत में उन्हें ऐसे बयान से बचने के लिए भी कहा था। हालांकि, तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने फिर रामायण पर विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि रामचरितमानस में जो कूड़ा कचरा है, उसे साफ करने की जरूरत है। उन्होंने रामायण के कुछ दोहों का उल्लेख करते कहा कि रामायण में अभी दर्जनों दोहे हैं, जिसे बदलने की जरूरत है। इसलिए बदले आरजेडी मंत्रियों के विभागदरअसल आरजेडी मंत्रियों या विधायकों का लगातार हिंदू धर्म विरोधी बयान से नीतीश कुमार की सेकुलर छवि पर सवाल उठने लगे थे। आरजेडी नेतृत्व की तरफ से भी कोई निर्देश नहीं आया जो समाज को बांटने वाले बयानवीर को सचेत कर सके या उन पर पाबंदी लगा सके। ऐसे में नीतीश कुमार ने तीन मंत्रियों का विभाग बदल कर यह संकेत दिया कि महागठबंधन की राजनीति में हर दल का अपना अलग विचार हो सकता है। हालांकि, मंत्रिपरिषद में किसी भी मंत्री को ऐसा करने की छूट नहीं दिया जाएगा जो जनता की नजरों में सरकार की गलत छवि प्रस्तुत करता हो।शिक्षा मंत्री को बदला, तीन मंत्रियों का विभाग चेंजराजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि केवल प्रो चंद्रशेखर को शिक्षा विभाग से मुक्त करने के लिए तीन मंत्रियों का विभाग बदलना पड़ा। प्रो. चंद्रशेखर की जगह आरजेडी के विश्वसनीय नेता आलोक मेहता को शिक्षा विभाग दिया गया। आलोक मेहता के विभाग राजस्व ,भूमि सुधार को ललित यादव को दिया गया। वहीं प्रो.चंद्रशेखर को गन्ना विभाग देकर उनके मंत्री बने रहने पर मुहर लगा दी गई।आरजेडी को दिया गंभीर संदेश: डॉ. संजय कुमारवरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि नीतीश कुमार को शिक्षा मंत्री रहे प्रो. चंद्रशेखर के बयान ने असहज कर दिया था। आरजेडी कोई निर्णय नहीं कर पा रही थी। नीतीश कुमार ने आरजेडी से होने वाले अनुशासनात्मक कार्रवाई का बहुत इंतजार भी किया पर पार्टी की तरफ से कोई सुगबुगाहट नहीं दिखी। तब नीतीश कुमार ने अपना पावर दिखाया कि मंत्रिमंडल को लेकर निर्णय करने को सीएम पूरी तरह से सक्षम हैं। दल के भीतर आपको जो करना है वह आपके दल का मैटर है पर मंत्रिमंडल में रह कर वही करना होगा जो मुख्यमंत्री चाहेंगे।दरअसल ऐसा कर सीएम नीतीश कुमार ने अपनी सुपरमैसी को भी दिखाया। मंत्रिमंडल में जो तय करना है हम ही तय करेंगे। ऐसा कर नीतीश कुमार ने यह भी संदेश दिया कि आरजेडी अभी बैकफुट पर है। वैसे भी नीतीश कुमार दबाब में रह कर सरकार नहीं चलाते हैं। यही इनका यूएसपी है।आरजेडी बोली- यह तो सामान्य प्रक्रियाआरजेडी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि तीन मंत्रियों का विभाग बदलना एक आम प्रक्रिया है। सीएम का यह विशेषाधिकार भी है कि विभाग कैसे और बेहतर से चलाया जा सकता है। क्या केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी विभाग नहीं बदलते रहे हैं? यह पूछे जाने पर कि ठीक से काम नहीं करने के कारण या फिर शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के बयान से परेशान होकर लिया गया निर्णय तो नहीं? प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं कि ऐसा होता तो मंत्री पद से हटा दिया जाता, पर यहां विभाग बदलने का मकसद उनका बेहतर उपयोग है।