मैं पाकिस्तान में पैदा हुआ भारतीय हूं… इंडियन बनने का अरमान संजोए अलविदा कह गए तारेक फतह

तनई दिल्‍ली: जाने-माने लेखक तारिक फतेह () का सोमवार को निधन हो गया। वह 73 साल के थे। पाकिस्‍तान में वह पैदा जरूर हुए। लेकिन, हिंदुस्‍तान उनके दिल में बसता था। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के दूसरे हिस्‍सों में भी चर्चा के दौरान तारिक हिंदुस्‍तान का पक्ष रखते थे। ऐसा नहीं है कि तारिक भारत की खामियां नहीं गिनाते थे। लेकिन, जब वह ऐसा करते थे तो वाकई लगता था कि कोई अपना ही बिल्‍कुल सही बात कह रहा है। तारिक खुलकर कहते थे कि वह पाकिस्‍तान में पैदा हुए भारतीय हैं। इस्लाम में जन्में पंजाबी हैं। मुस्लिम चेतना के साथ कनाडा में एक अप्रवासी हैं। हिंदुस्‍तान में तारिक के प्रशंसकों की बड़ी संख्‍या थी। हर मुद्दे पर वह खुलकर राय रखते थे। इसमें किसी तरह की मिलावट नहीं होती थी। जिस तरह तारिक अपनी बातों को कहते थे, उसमें यह दिखता था। तारिक फतेह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी बेटी नताशा ने पिता के निधन की जानकारी दी। नताशा ने लिखा, ‘पंजाब के शेर, हिंदुस्‍तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सच बोलने वाले, न्याय के लिए लड़ने वाले, शोषितों की आवाज तारिक फतेह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका काम और उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे।’ खुद का परिचय यह देते थे तार‍िक नताशा का लिखा एक-एक शब्‍द तारि‍क के व्‍यक्तित्‍व का हिस्‍सा था। वह कभी डरे या सहमे नहीं दिखे। जबकि उन्‍हें बार-बार जान से मारने की धमकियां मिलती रहीं। वह जो कुछ भी बोलते थे बेबाकी से बोलते थे। वह अपना परिचय पाकिस्‍तान में पैदा हुए भारतीय के तौर पर देते थे। वह कहते थे, ‘मैं पाकिस्तान में पैदा हुआ भारतीय हूं। इस्लाम में जन्मा पंजाबी हूं। एक मुस्लिम चेतना के साथ कनाडा में एक अप्रवासी हूं। एक मार्क्सवादी मार्गदर्शित युवा हूं।’ आम भारतीय नागरिक बनने की चाहत रही अधूरी हालांकि, तारिक फतेह की भारतीय नागरिक बनने की चाहत अधूरी रह गई। वह भारतीय नागरिक नहीं बन सके। यह और बात है कि उनका काफी समय भारत में बीतता था। भारतीय न्‍यूज चैनलों पर चर्चाओं में वह अक्‍सर दिखते थे। भारत में उनके चाहने वालों की कमी नहीं थी। अब उन्‍हें वह बेबाक आवाज नहीं सुनाई देगी। क्‍यों बताते थे खुद को पाकिस्‍तान में पैदा हुआ भारतीय? अगर तारिक फतेह खुद को पाकिस्‍तान में पैदा हुआ भारतीय कहते थे तो उसकी एक वजह थी। उनका परिवार मुंबई का रहने वाला था। 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद परिवार कराची में जाकर बस गया। 20 नवंबर, 1949 को कराची में तारिक का जन्म हुआ। उनकी पढ़ाई लिखाई कराची यूनिवर्सिटी से हुई। उन्‍होंने बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई की थी। बाद में उन्होंने जर्नलिज्‍म की। इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्‍म के कारण वह जेल भी गए। हालांकि, बाद में तारिक ने पाकिस्तान छोड़ दिया। वह पाकिस्‍तान छोड़कर सऊदी अरब चले गए। फिर 1987 में वह कनाडा में बस गए। तारिक कट्टरपंथी इस्‍लामिक विचारधारा पर मुखर होकर बोलते थे।आरएसएस ने दी श्रद्धांजलितारिक फतेह को राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी श्रद्धांजलि दी। संगठन ने कहा कि तारि‍क फतेह एक प्रसिद्ध विचारक, लेखक और टीकाकार थे। मीडिया और साहित्य जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। वह जीवनभर अपने सिद्धांतों और विश्वासों के प्रति प्रतिबद्ध रहे। उनके साहस और दृढ़ विश्वास के लिए उनका सम्मान किया गया।