मैथ के टीचर से कैसे ISI एजेंट बना गुड्डू? बंगाल से बिहार तक STF ढूंढ रही सवालों के जवाब

कोलकाता: कोई मैथ के टीचर से ISI एजेंट बन जाए…. यह बात सुनने में जतनी अजीब लग रही है, घटना का सच उससे भी ज्यादा हैरत में डालने वाला है। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से बुधवार को संदिग्ध ISI एजेंट गुड्डू कुमार को गिरफ्तार किया गया। एसटीएफ और इंटेलीजेंस गुड्डू कुमार की एक-एक जानकारी हासिल करने के लिए जमीन आसमान एक कर रही है। बता दें कि बुधवार को संदिग्ध आईएसआई एजेंट गुड्डू को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने गुड्डू कुमार को 14 दिन की हिरासत में रखने का निर्देश दिया है। गुड्डू बीएसएफ कैंप के आस पास इलाकों में टोटो चलाकर सेना से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान भेजता था।

गुड्डू था मैथ का टीचर

सूत्रों ने बताया कि गुड्डू कुमार 2 साल से देबाशीष कॉलोनी इलाके में एक किराए के मकान में रह रहा था। वह अकेला रहता था। पिछले एक साल से संजय कुमार नामक व्यक्ति के घर रह रहा था। मकान मालिक संजय ने बताया कि गुड्डू ने बताया था कि वह बी.एसी तक पढ़ा है। इसके साथ ही वह रोजगार के लिए बिहार से कोलकाता आया है। तब संजय ने कहा कि गुड्डू उनके बच्चों को ट्यूशन पढ़ा दिया करे, ताकि उसकी कुछ आय हो जाएगी। खाने पीने का खर्चा निकल जाएगा। उसके बाद ही गुड्डू बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा। बताया जा रहा है कि गुड्डू गणित में काफी तेज था। पूरे मोहल्ले में गणित टीचर के नाम से जाना जाता था।

किराए पर चलाता था टोटो

मकान मालिक संजय कुमार ने बताया कि गुड्डू को रोजगार की तलाश थी। पहले वह दूसरा कोई काम करता था। फिर मकान मालिक संजय ने उसे टोटो (ई-रिक्शा) खरीद कर दे दिया। उसी के बाद से वह टोटो चलाता और मालिक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता। मूल रूप से वह न्यू जलपाईगुड़ी इलाके में टोटो चलाता था। हालांकि पुलिस को लगता है कि गुड्डू सिलीगुड़ी के पास सुकना आर्मी कैंप के आस पास भी टोटो चलाता था।

बिहार में रहता है परिवार

सूत्रों ने बताया कि गुड्डू बिहार के पूर्वी चंपारण के मोतिहारी का रहने वाला है। उन्होंने कहा कि बिहार में उनके पिता, माता और भाई हैं। उसकी पत्नी और बच्चे हैं। मकान मालिक का कहना है कि उसने माता पिता के बारे में बताया है, पर पत्नी और बच्चे के बारे में कभी भी नहीं बताया है। हालांकि एसटीएफ को अभी भी शक है कि गुड्डू सच नहीं बता रहा है। फिलहाल उससे पूछताछ जारी है।

बेहतर तरीके से जानना चाहता था सिलीगुड़ी

सूत्रों के अनुसार गुड्डू ने कभी मकान मलिक संजय को बताया था कि वह सिलीगुड़ी को बेहतर तरीके से जानना चाहता है। उसी समय संजय ने उसके इस संदिग्ध सवाल का का कारण पूछा था। तब गुड्डू ने संजय को जवाब दिया कि वह सिलीगुड़ी में कोई धंधा करना चाहता था। संजय ने यह भी पूछा छा कि गुड्डू क्या करेगा? इस बारे में पूछने पर वह कहता था कि वह सब्जियों और फलों का व्यापार करता है।

पाकिस्तान को देता था सेना की जानकारी

एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि आरोपी का नाम गुड्डू कुमार है। वह बिहार के मोतिहारी का रहने वाला है। सिलीगुड़ी के सीमावर्ती इलाकों में घूम-घूम कर वो भारतीय सेना से जुड़ी सारी जानकारी जुटाता था। लगभग 2 साल से पाकिस्तान के जासूस के रूप में काम पर लगा हुआ था। वह सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों के सेना के कैंपों की जानकारी पाकिस्तान भेजता था जिसके एवज में उसे मोटी रकम मिलती थी।

ली गई घर की तलाशी

आर्मी इंटेलिजेंस ने एसटीएफ कार्यालय जाकर उसी दिन गिरफ्तार लोगों से पूछताछ की। गुरुवार को पुलिस आरोपी को लेकर सिलीगुड़ी के भरतनगर इलाके की देबाशीष कॉलोनी गई थी। वहां पुलिस अधिकारियों ने उसके घर की तलाशी ली। हालांकि घर में ऐसा कुछ नहीं मिला। गुड्डू के मोबाइल की जांच की जा रही है। आईएसआई एजेंट की बात जानने के बाद स्थानीय निवासियों में दहशत फैल गई है।

किसी से नहीं करता था बात

स्थानीय सूत्रों ने बताया कि मोहल्ले में लोग गुड्डू एक शांत युवक के रूप में जानते थे। वह किसी से बात नहीं करता। यहां तक की पड़ोसियों से भी नहीं। इसके अलावा सार्वजनिक तौर पर भी गुड्डू कम ही दिखता था। वह अपने काम से काम रखता था। हालांकि लोगों का कहना है कि कभी भी उसे देखकर ऐसा संदिग्ध कुछ नहीं लगा। कई लोगों का कहना है कि साधारण से दिखने वाले गुडडू को लेकर अभी भी किसी को कोई शक नहीं है। कई लोग तो ऐसा भी कह रहे हैं कि पुलिस से सुनी बातों पर भरोसा नहीं हो रहा।

2016 में भी पकड़ा गया था एक आईएसआई एजेंट

आपको बता दें कि दिसम्बर 2016 में नेपाल सीमा से सटे सिलीगुड़ी के पास पानीटंकी इलाके से एक संदिग्ध आईएसआई एजेंट को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उसके पास से 155 नेपाली सिम कार्ड, 35 भारतीय सिम कार्ड, चार लैपटॉप, कई एटीएम कार्ड और तीन मतदाता पहचान पत्र भी मिले थे।पूर्व में गिरफ्तार पाकिस्तान एजेंट भी बिहार के सारण का निवासी था जो सिलीगुड़ी इलाके में रह कर इलेक्ट्रिक मैकेनिक का कारोबार चला रहा था और जानकारियां एकत्रित कर पाकिस्तान को भेजता था।