बजरंग दल: कैसे बना था यह संगठन, कर्नाटक चुनाव के बीच क्यों शुरू हो गई इसकी चर्चा

नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बीच अचानक चर्चा बजरंग दल की होने लगी। कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को घोषणापत्र जारी किया। जिसमें उसने वादा किया है कि प्रदेश में जाति एवं धर्म के आधार पर नफरत फैलाने के लिए बजरंग दल जैसे संगठनों को बैन किया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का वादा भगवान हनुमान का अपमान है। कांग्रेस की इस वादे पर पूरे देश से अलग- अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है। बजरंग दल को लेकर काफी चर्चा है ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इसकी स्थापना कब हुई और इस संगठन का उद्देश्य क्या है।1 अक्टूबर 1984 को उत्तर प्रदेश में शोभा यात्रा के रूप में इस दल की शुरुआत हुई थी। विश्व हिंदू परिषद की पहली धर्म संसद में मंदिर आंदोलन की शुरुआत के साथ ही राम जानकी रथयात्रा के नाम से नियमित रूप से इस शोभा यात्रा को निकालने की शुरुआत हुई। इसका मकसद था कि लोगों को हिंदुत्व के बारे में अधिक से अधिक बताया जाए। कुछ समय में ही इससे युवा और साधु-संत जुड़ते गए। 1 अक्टूबर 1984 को इस दल की स्थापना हुई और नाम रखा गया बजरंग दल। बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद का यूथ विंग है। बीजेपी नेता विनय कटियार इसके संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। बजरंग दल का उद्देश्य है कि भारत से लव जिहाद, गौ हत्या और दूसरी धर्मांतरण जैसी गतिविधियों को पूरी तरह से भारत से समाप्त करना। बजरंग दल अपने काम का विस्तार देने के लिए देश के मंदिरों में साप्ताहिक मिलन कार्यक्रम का आयोजन भी करती है। युवाओं को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए बजरंग दल अखाड़े और खेल प्रतियोगिता का भी आयोजन करता है।बजरंग दल अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर मुखर हुआ था। इसी कारण बजरंग दल की छवि हिंदू समर्थक के रूप में हुई। इस दल के कुछ लोगों की उग्र छवि इसे और मजबूत बनाती है। पिछले साल बजरंग दल ने देशभर के युवाओं को बजरंग दल से जोड़ने की मुहिम शुरू की। संगठन की ओर से 50 लाख युवाओं को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया।