दिल्ली में AAP ने कैसे कांग्रेस के वोट बैंक पर जमाया कब्जा, गठबंधन की चर्चा के बीच समझिए सियासी समीकरण

नई दिल्ली : आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी पार्टियां जोरआजमाइश में जुटी हुई हैं। खास तौर पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में लगातार सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर माथापच्ची जारी है। इस बीच दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन लगभग तय माना जा रहा। कहा तो यही जा रहा कि किसी भी समय सीट शेयरिंग फॉर्मूला सामने आ सकता है। केंद्र में सत्ता संभाल रही बीजेपी को घेरने के लिए दिल्ली में AAP-कांग्रेस के बीच बातचीत फाइनल स्टेज पर है। ये गठबंधन इसलिए अहम माना जा रहा क्योंकि दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर अभी बीजेपी का कब्जा है। आम आदमी पार्टी ने भले ही 2020 विधानसभा चुनाव में 62 सीटें अपने नाम की हों, लेकिन लोकसभा चुनाव में AAP का जादू फेल ही नजर आया है। ऐसे में सवाल यही कि क्या कांग्रेस और AAP के एक साथ आने से राष्ट्रीय राजधानी में कोई बड़ा खेला हो सकता है?AAP-कांग्रेस में डील फाइनल!ऐसी चर्चा है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दिल्ली ही नहीं गुजरात और हरियाणा में भी गठबंधन में दावेदारी की प्लानिंग कर रही हैं। जानकारी के मुताबिक, शनिवार को दोनों पार्टियों की ओर से गठबंधन का ऐलान हो सकता है। दिल्ली के अलावा हरियाणा, गुजरात, गोवा जैसे अन्य राज्यों में भी दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग की घोषणा की जाएगी। दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। खास तौर पर बात करें दिल्‍ली की तो यहां लोकसभा की कुल सात सीटें हैं। मिल रही जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस यहां तीन सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, वहीं AAP के खाते में 4 सीटें जाने की चर्चा है। आप-कांग्रेस के सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर गौर करें तो की पार्टी नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली से दावेदारी कर सकती है। वहीं, कांग्रेस उत्तर पश्चिम दिल्ली, उत्तर-पूर्वी और चांदनी चौक सीट पर अपना उम्मीदवार उतार सकती है। गठबंधन से क्या बीजेपी को होगा नुकसान AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने देश की राजधानी दिल्ली में जिस कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन करके अपनी पार्टी बनाई अब उसी के साथ गठबंधन की प्लानिंग में जुटे हैं। सूत्रों की मानें तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग डील लगभग फाइनल हो चुकी है। हालांकि, अभी इसका ऐलान होना बाकी है। ऐसे में सवाल यही कि क्या कांग्रेस-AAP के साथ आने से बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में कोई मुश्किल आ सकती है। 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान वोट शेयर अलग ही इशारा कर रहे।आंकड़े दे रहे अलग ही गवाही2019 लोकसभा के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो AAP और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव मैदान में आते हैं फिर भी बीजेपी को ज्यादा नुकसान की संभावना नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2019 चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर 56.86 फीसदी था। वहीं आप और कांग्रेस का वोट शेयर मिला भी दें तो ये करीब 41 फीसदी रहा था। यही नहीं दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने कांग्रेस-AAP से बड़ी बढ़त बनाई थी। जानिए 2019 में क्या रहा था वोट शेयर2019 के चुनावों में AAP का वोट शेयर 18 फीसदी के आस-पास था, वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 22.5 फीसदी था। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के वोट पर्सेंट में लगभग 15 फीसदी की गिरावट देखी गई थी। वहीं कांग्रेस पार्टी के वोट शेयर में लगभग 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी। हालांकि, मोदी लहर में बीजेपी ने सभी सात सीटों पर कब्जा जमाया था। इन आंकड़ों से पता चलता है कि AAP और कांग्रेस में गठबंधन की राह यूं ही नहीं बन रही, दोनों ही पार्टियों को पता है कि वो अकेले बीजेपी को रोकने में सफल नहीं हो सकते। विधानसभा में AAP तो लोकसभा में रहा BJP का जलवाहालांकि, सवाल ये भी है कि आम आदमी पार्टी का वोट शेयर दिल्ली विधानसभा चुनावों में काफी अलग रहता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने 62 सीटें जीतीं, उस समय पार्टी का वोट शेयर 53.64 फीसदी था। वहीं बीजेपी ने 38.46 फीसदी वोट हासिल किए। कांग्रेस केवल 4.34 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रही। उस समय आप की सफलता का श्रेय उसकी गरीब समर्थक नीतियों को जाता है, जिसने मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाया था। हालांकि विधानसभा चुनाव में भले ही वोटर आप पर भरोसा जताएं लेकिन 2014 और 2019 के वोटिंग ट्रेंड देखें तो लोकसभा चुनाव में वो बीजेपी को ही चुनते हैं।कांग्रेस को वोट शेयर में खेला करती रही है AAPआम आदमी पार्टी की स्थापना 2 अक्टूबर 2012 को हुई थी। उस समय ये पार्टी भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी के रूप में राजनीति में आई थी। इसने दिसंबर 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में 29.5 फीसदी के वोटिंग पर्सेंट के साथ 28 सीटें जीतकर सभी को प्रभावित किया था। अपने पदार्पण में, आप ने कांग्रेस को केवल आठ सीटों तक सीमित कर दिया। 2014 में नरेंद्र मोदी और बीजेपी के पक्ष में मजबूत लहर के बावजूद, आप का वोट शेयर 32.9 फीसदी तक बढ़ा। हालांकि बीजेपी ने 2014 में दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन आप ने अगले साल के विधानसभा चुनावों में शानदार वापसी की और 67 सीटें कुल 54 फीसदी से अधिक वोटों के साथ जीत दर्ज की। 2015 में बीजेपी सिर्फ तीन सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही। इस तरह से कांग्रेस और बीजेपी के वोट बैंक में लगातार AAP ने सेंध लगाई।