हाई कोर्ट ने MCD में स्थायी समिति के सदस्यों के दोबारा चुनाव पर लगाई रोक, बैलट पेपर सुरक्षित रखने का आदेश

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी की स्थायी समिति के छ: सदस्यों के फिर से चुनाव पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ने कहा कि पहले हुए चुनाव के नतीजे घोषित किए बिना मेयर की तरफ से दोबारा चुनाव की घोषणा करना, पहली नजर में नियमों का उल्लंघन प्रतीत होता है। एमसीडी में स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव 27 फरवरी, 2023 को होने वाला था। हाई कोर्ट ने इस मामले में एलजी वीके सक्सेना, मेयर शैली ओबरॉय और एमसीडी को नोटिस भी जारी किया। हाई कोर्ट ने इस मामले में मतपत्रों को सुरक्षित रखने का आदेश दिया। मेयर के पास चुनाव अमान्य घोषित करने का अधिकार नहीं मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि चुनाव से संबंधित सीसीटीवी फुटेज और अन्य दस्तावेज सुरक्षित रखे जाएं। जस्टिस गौरांग कांत ने अदालत की छुट्टी के दिन विशेष सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में ऐसा लगता है कि मेयर, जो रिटर्निंग ऑफिसर भी हैं, 24 फरवरी को हुए पिछले वोटिंग के रिजल्ट की घोषणा किए बिना सोमवार को फिर से चुनाव करा रही हैं। यह नियमों का उल्लंघन हो रहा है। हाई कोर्ट कहा कि नियम कहीं भी यह नहीं दर्शाते हैं कि दिल्ली के मेयर के पास स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव को अमान्य घोषित करने का अधिकार है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में रिजल्ट की घोषणा किए बिना फिर से चुनाव कराने के फैसले को चुनौती दी गई थी। जस्टिस ने कहा कि फिर से चुनाव कराने की सूचना सुनवाई की अगली तारीख तक रुकी रहेगी।” वोटों की गिनती रोके जाने के बाद हुआ था हंगामा इससे पहले लगातार तीसरे दिन हंगामे के बाद, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। मेयर शैली ओबेरॉय ने घोषणा की कि स्थायी समिति के सदस्यों को चुनने के लिए फिर से चुनाव 27 फरवरी को सुबह 11 बजे होगा। आम आदमी पार्टी की आपत्तियों के बाद एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव के लिए वोटों की दोबारा गिनती रोके जाने के बाद शुक्रवार को हंगामा खड़ा हो गया था। बीजेपी और आप पार्षदों ने सदन की गरिमा की उपेक्षा करते हुए एक-दूसरे पर हमला कर दिया था। रि-काउंटिंग प्रोसे को रोकने के मेयर के फैसले का विरोध करते हुए भाजपा पार्षदों ने नारेबाजी की थी। इस बीच बीजेपी के पार्षदों ने माइक तोड़े, मतपत्र फाड़े और यहां तक कि वोटिंग सेंटर को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया था। हार के डर से बीजेपी ने किया हंगामा?इससे पहले मेयर शैली ओबेरॉय ने सदन स्थगित होने के बाद कहा था कि सदन की प्रतिष्ठा का ख्याल नहीं रखा गया। मेयर का कहना था कि स्थायी समिति के चुनाव से पहले, हमने भाजपा की मांगों को सुना और सुनिश्चित किया कि वह पूरी हों। उन्होंने कहा था कि जब मतगणना शुरू हुई और उन्हें (भाजपा को) लगा कि वह हार रहे हैं तो भाजपा पार्षदों ने हंगामा किया। मेयर ने कहा, न केवल मुझे निशाना बनाया, बल्कि अन्य महिला पार्षदों को भी निशाना बनाया। वह न केवल सदन का, बल्कि मेयर की कुर्सी का भी अपमान कर रहे थे।