विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की एक फार्मास्यूटिकल्स कंपनी द्वारा बनाए गए कफ और कोल्ड सिरप का इस्तेमाल नहीं करने की चेतावनी जारी की है. WHO का दावा है कि इस खांसी के सिरप को पीने से गांबिया में 66 बच्चों की मौत हो गई है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि खांसी की दवा लोगों की सेहत के लिए घातक है. संगठन ने सभी देशों से इस दवा की सप्लाई पर रोक लगाने को कहा है.
इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय के भी कुछ एसओपी हैं. मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, SOP ये कहता है कि किसी देश की दवाई के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन कोई भी गाइडलाइन जारी करता है तो WHO का दायित्व है कि उस दवाई के लेबल की फोटो देश के दवा रेगुलेटर के साथ शेयर करे. छह दिन गुजरने के बाद भी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को WHO ने पैकेजिंग के लेबल की फोटो साझा नहीं की है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस मामले में WHO के जेनेवा ऑफिस को ईमेल भेजी थी.
गांबिया ही भेजी गई थी दवाई
मेडन फार्मास्यूटिकल्स को दवाई export के लिए मैनुफैक्टर करने का लाइसेंस Drugs and Cosmetic Act में State Drug Controller, Haryana ने दिया था. स्वास्थ्य मंत्रालय इस बात को भी देख रहा है कि बनाया गया कोल्ड एंड कफ सिरप गंबिया ही भेजा गया या किसी दूसरे देश में कहीं और भी गया था.अब तक यही जानकारी है कि ये दवाई गांबिया ही भेजी गई थी.
मंत्रालय के मुताबिक,टेस्टिंग के लिए मेडन फार्मा के ड्रग्स के सैंपल लिए गए हैं. देश की सेंट्रल और रीजनल ड्रग लैब में उसकी टेस्टिंग की जाएगी. इसके टेस्ट रिजल्ट अगले दो दिनों में आ जाएंगे. देश की कोई भी दवाई जब किसी दूसरे देश में जाती है तब बाजार में बिकने या प्रयोग में लाने से पहले वो देश उसकी टेस्टिंग करता है. जब गांबिया में टेस्टिंग हुई तो खामी क्यों नहीं पाई गई थी. WHO ये कहे कि ये चारों ड्रग बिना टेस्टिंग के ही उस देश में इस्तेमाल में लाई गई है. इस पर भी विश्व स्वास्थय संगठन चुप है.
गांबिया में 60 बच्चों की हुई है मौत
सितंबर में गांबिया में 60 बच्चों की मौत हुई थी. बताया जा रहा है कि इन बच्चों ने कफ सिरप दिया गया था. इस वजह से उनकी किडनी में कई प्रकार की परेशानियां हो गई थी. WHO ने कहा है कि सिरप पीने की वजह से बच्चों की मौत हुई है.
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