पवन कुमार भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे। उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही एनडीए की परीक्षा पास की और सैन्य अधिकारी बने। शनिवार को देहरादून में पासिंग आउट परेड में सेना ने उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी का सर्वेश्रेष्ठ कैडेट करार देते हुए प्रतिष्ठित स्वॉर्ड ऑफ ऑनर खिताब से नवाजा है। इस दौरान पवन कुमार के गौरवान्वित माता-पिता अजीत कुमार और चंद्रकांति देवी भी समारोह में शामिल हुए और अपने बेटे को सम्मानित होते देख भावुक हो गए।
पवन के पिता अजीत कुमार रे झारखंड पुलिस में हवलदार के रूप में तैनात हैं। शनिवार को समारोह में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि उनके बेटे पवन का आचरण स्कूल और घर में हमेशा अच्छा रहा था। हमें पता था कि वह अपने जीवन में कुछ अच्छा हासिल करेगा। पवन कुमार ने 12वीं पास करने के तुरंत बाद अपने पहले प्रयास में ही एनडीए की परीक्षा पास कर ली और साल 2019 में अकादमी में शामिल हो गए। इसके बाद साल 2021 में आईएमए में एक साल का प्रशिक्षण लिया।
पवन बताते हैं कि उनके पैतृक गांव में शिक्षा की व्यवस्था दुरुस्त नहीं थी। पढ़ाई में अच्छे पवन की कविताएं लिखने में भी गहरी दिलचस्पी है। उनकी कविताएं नियमित रूप से आईएमए और एनडीए की पत्रिकाओं में छपती हैं। वह कहते हैं कि सैनिक का जीवन उन्हें काफी प्रभावित करता है। उनकी सभी कविताएं इसी के ईर्द-गिर्द घूमती हैं। उन्होंने बताया कि अब तक ऐसी उन्होंने 25 कविताएं लिखी हैं।
कुमार बताते हैं कि वह अपने परिवार में पहले सैन्य अधिकारी होंगे। उनके परदादा ने द्वितीय विश्वयुद्ध में लड़ाई लड़ी थी, जिनसे वह काफी प्रभावित हैं। वह बलूच रेजिमेंट का हिस्सा थे, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। वह भारतीय सेना के उन कुछ लोगों में से थे, जिन्होंने पैराशूट की मदद से विमान से दुश्मन के इलाके में कूदने की इच्छा जताई थी। पवन बताते हैं कि मैं उनके नक्शेकदम पर चलूंगा और वन-पैराशूट रेजिमेंट में शामिल होऊंगा।