बाबा बुलडोजर पर आए हैं या गाड़ी पर, कुमार विश्वास ने सीएम योगी से ये क्या पूछ लिया? जानिए आगे क्या हुआ

लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर शनिवार को केजीएमयू के साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में कविताओं की बयार चली। अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल फाउंडेशन की ओर से हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवि कुमार विश्वास से संचालन की कमान संभाली। इस दौरान उन्होंने चुटकुलों के जरिए खूब तंज कसे। कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ दोनों डेप्युटी सीएम भी शरीक हुए। सीएम पहुंचे तो कुमार विश्वास ने उनके सामने ही कहा कि बाबा बुलडोजर पर आए हैं कि गाड़ी पर आए हैं, यह जनता बाहर देखने गई थी। इस पर सीएम योगी भी मुस्कुरा दिए।

सम्मेलन की शुरुआत लखनऊ की कवयित्री कविता ने ‘सारी धरा तुम्हारी ही गीत गा रही है, ऐसा लगा तू मधुरिम वीणा बजा रही है’ वंदना से शुरुआत की। वहीं, कानपुर के हेमंत पांडेय ने चुटकुलों के जरिए राहुल गांधी पर व्यंग्य किया। इस पर योगी आदित्यनाथ भी ठहाका लगाने से खुद को रोक नहीं पाए। हेमंत ने रोमियो स्क्वॉड पर कहा कि योगी जी की सरकार नहीं थी तो मेरे पास 15 प्रेमिकाएं थी। वहीं, दिनेश बावरा ने अफसरों की कार्यशैली तो सुदीप भोला ने महंगाई पर कविता सुनाकर वाहवाही बटोरी। इसके साथ वीर रस की कविताएं सुनाते हुए सिक्किम में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी।

विश्वास ने बांध दिया समां

कुमार विश्वास ने राधा-कृष्ण प्रेम पर कविता सुनाई… मेरे जीने में मरने में तुम्हारा नाम आएगा, मैं सांसे रोक लूं फिर भी यही इल्जाम आएगा, हरेक धड़कन में जब तुम हो तो, फिर अपराध क्या मेरा, अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याम आएगा। उनके साथ पूरा हॉल ये पंक्तियां दोहराता रहा। वहीं, ‘कोई दीवाना कहता है’ की पहली पंक्ति सुनाते ही पूरा हॉल काफी देर तक तालियों से गूंजता रहा। कुमार विश्वास शबाब पर आए तो व्यंग्य बाण चलाने शुरू किए। ‘राजा अंधा हो जाए तो, सेवा धंधा हो जाए तो, सच दिखलाने वाला खंभा, छवि पर अंधा हो जाए’ समेत कई कविताएं सुनाकर सामाजिक समस्याओं पर कटाक्ष किया।

कानपुर वाले ने कोरोना से कहा – टुम कौन हो बे

कुमार ने कोरोना के बहाने कानपुरवालों पर निशाना साधा। कहा कि जब कोरोना कानपुर आया तो उसे पता नहीं चला कि किधर जा रहा है। गले में तो लाल द्रव्य गुटका मिला। उसके बाद मुंह में गुटखा दबाए कानपुर वालों ने कोरोना से पूछा- टुम कौन हो बे।

उपमुख्यमंत्री की आंख से छलके आंसू

कुमार विश्वास ने कहा कि पिछली बार मैं आया था तो ब्रजेश पाठक से कहा था कि मंत्री होकर क्या मांगते हो। कुछ बड़ा मांगो। इस बार फिर आया हूं। फिर कह रहा हूं, उपमुख्यमंत्री होकर क्या मांगते हो? कुछ बड़ा मांगो। इस पर पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। राधा और कृष्ण से जुड़ी कविता सुनाते हुए खुद को ब्रजेश पाठक का सुदामा बताया तो उपमुख्यमंत्री की आंखों से आंसू छलक पड़े। वहीं, कविता पाठ के समापन के वक्त ब्रजेश पाठक फूलों की माला लेकर मंच पर पहुंच और कुमार विश्वास को पहना दिया। फिर सुरक्षाकर्मियों संग खड़े हो गए। इस पर कुमार विश्वास ने उन्हें बुलाकर कवियों की कुर्सी पर बैठाया।