नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने राहुल गांधी का बिना नाम लिए उन्हें घेरा। पीएम ने कहा कि आज कर्तव्य और अधिकार के बीच लड़ाई चल रही है। पीएम ने राहुल का बिना ना लिए कहा कि जो लोग कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा पहराकर आए हैं उन्होंने बिना किसी बाधा के ये किया लेकिन मुझे इसके लिए आतंकियों को चुनौती देनी पड़ी थी। पीएम मोदी के भाषण की मुख्य बातें-सच सुनने के लिए भी काफी सामर्थ चाहिए होता है। झूठे और गंदी बातें को जवाब दिया। जो लोग बार-बार गांधी के नाम पर रोटी सेंकते हैं, उनको मैं कहना चाहता हूं कि वे एक बार महात्मा गांधी को पढ़ लें एकबार अपने कर्तव्यों का पालन करोगे तो दूसरे के अधिकार भी निहित हैं। आज कर्तव्य और अधिकार के बीच भी लड़ाई देख रहे हैं, ऐसी नासमझी शायद देश ने पहली बार देखी होगी। देश आज यहां एक नए उमंग और नए विश्वास के साथ आगे चल पड़ा है। -यहां जम्मू-कश्मीर पर भी चर्चा हुई, अभी जो कुछ दिन कश्मीर गए वो भी देख रहे होंगे कि वहां कितने आन बान शान से वहां गए थे। मैं भी पिछले शताब्दी में लाल चौक में यात्रा लेकर गया था तब आतंकियों ने पोस्टर लगाए थे और कहा था कि देखते हैं कि किसने अपनी मां का दूध पिया था जो लाल चौक में आकर पोस्टर लगाए थे। 24 जनवरी का दिन था तब मैंने कहा था कि आतंकवादी कान खोलकर सुन लें 26 जनवरी को ठीक 11 बजे मैं लाल चौक पहुंचूंगा बिना सिक्योरिटी आऊंगा, बुलेटप्रूफ जैकेट के बिना आऊंगा, फैसला लाल चौक पर हुआ है किसने अपनी मां का दूध पिया है। श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराया उसके बाद मीडिया के लोग पूछने लगे तब मैंने कहा था कि आम तौर पर 15 अगस्त और 26 जनवरी को भारत की तिरंगा लहराता है तो खुशी होता है। आज जब मैं लाल चौक पर तिरंगा फहराऊ तो दुश्मन देश बारूद फोड़ रहा था। -जो लोग ये सपने लेकर बैठे हैं कि कभी यहां बैठते थे फिर कभी मौका मिलेगा, ऐसे लोग जरा 50 बार सोचे, अपने तौर-तरीके पर जरा फिर से विचार करें। लोकतंत्र में आपको भी आत्मचिंतन करने की जरूरत है। जो कभी यहां बैठते थे वो वहां जाने के बाद भी फेल हुए और देश पैस होता जा रहा है। आज निराशा में डूबे हुए लोग आत्मचिंतन करें। -देश को आगे बढ़ाना है तो भारत को आधुनिकता की तरफ गए बिना कोई चारा नहीं है। अब समय नहीं गंवा सकते हैं। भारत इंफ्रा की तरफ ध्यान दिया है। भारत गुलामी के कालखंड के पहले आर्किटेक्चर और इंफ्रा के रूप में पहचान थी। देश आजाद होने के बाद वो दिन दोबारा आएगी लेकिन वो भी नहीं आया। हाइवे पर रेकॉर्ड निवेश हो रहा है। -वोट बैंक की राजनीति ने देश के सामर्थों को देश को बहुत धक्का पहुंचाया है। जो देश में समय से होना चाहिए वो देर से हुआ। मध्यम वर्ग को पूरी तरह लंबे समय तक नकार दिया गया था। वो मानकर चला कि हमारा कोई नहीं अपने बलबूते ही चलो। लेकिन एनडीए सरकार ने मध्यम वर्ग की ईमानदार को पहचाना और उन्हें सुरक्षा प्रदान की है। आज हमारा परिश्रमी मध्यमवर्ग देश को नई ऊंचाई पर ले जा रहा है। 2014 से पहले जीबी डेटा की कीमत 240 रुपये थी, आज सिर्फ 10 रुपया है। आज एक देश में एक नागरिक 20 जीबी का खर्च करता है, औसतन एक आदमी का 5000 रुपया बचता है। कुछ लोगों के जेब फटे होते हैं तो भी मोबाइल होता ही है। -हम पहली बार देख रहे हैं। एक बार ये भी है, हम सबका समान अनुभव है। हम सब जानते हैं कि जब मां सशक्त होती है तो पूरा परिवार सशक्त होता है, परिवार सशक्त होता है तो समाज सशक्त होता है। -2014 के बाद गरीब कल्याण योजनाओं का सर्वाधिक लाभ इन्हीं को मिला है। गरीबों, पिछड़ों की बस्तियों में बिजली पहली बार पहुंची है। मीलों तक पानी के लिए जाना पड़ता था पहली बार यहां नल से जल पहुंचा है। अनेक परिवार पहली बार पक्के घर में आज जा पाए हैं। जो बस्तियां आपने छोड़ दी थी, आपके लिए चुनाव के समय ही जिसकी याद आती थी, आज सड़क हो बिजली हो पानी हो इतना ही नहीं 4 जी कनेक्टिविटी भी वहां पहुंच गई है। पूरा देश गौरव कर रहा है। आज एक आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में देखते हैं तो पूरा देश गौरवगान कर रहा है। -आपकी गालियां, आपको आरोपों को इन कोटि-कोटि भारतीयों से होकर गुजरना होगा। जिनको दशकों तक मुसीबतों में जिंदगी जीने के लिए तुमने मजबूर किया है। कुछ लोग अपने लिए, अपने परिवार के लिए बहुत कुछ तबाह करने के लिए लगे हैं। अपने लिए और अपने परिवार के लिए जी रहे हैं। मोदी तो 25 करोड़ देशवासियों का सदस्य है। 140 करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद मेरा सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। गालियों के शस्त्र से झूठ के शास्त्रार्थ तो इस सुरक्षा कवच को भेद नहीं सकते हैं। -जो देशवासियों को मोदी पर भरोसा है वो इनकी समझ से बाहर है। क्या ये मुफ्त राशन प्राप्त करने वाले देश के 80 करोड़ देशवासी इसपर भरोसा करेंगे। वन नेशन, वन राशन कार्ड देशभर में कहीं भी गरीब से गरीब को भी राशन मिल जाता है। वो आपकी झूठी बातों पर गलत और गलीच आरोपों पर कैसे भरोसा करेगा। 11 करोड़ किसानों के खाते में पैसा जमा होता है, वो आपकी गालियां और आपके आरोपों पर कैसे भरोसा करेगा। जो कल फुटपाथ पर जीवन बसर करने के लिए मजबूर था जिनको 3 करोड़ लोगों को घर मिले वे कैसे आपकी झूठी बातों पर कैसे भरोसा करेगा। 9 करोड़ लोगों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है, 11 करोड़ बहनों को इज्जतघर मिला है वो आपके झूठ को कैसे स्वीकार करेगा। -ये कह रहे हैं कि भारत इतना मजबूत हो गया है कि भारत दूसरे देशों को धमकाकर फैसले कर रहा है। पहले तय तो करे को भारत मजबूत है कि कमजोर है। कोई भी जीवंत संगठन होता है, जमीन से जुड़ी व्यवस्था होती है वह जनता जर्नादन में क्या चल रहा है उसे सीखने की कोशिश करता है। लेकिन जो अहंकार में डूबे रहते हैं। उनको लगता है कि मोदी को गाली देकर ही रास्ता निकलेगा। मोदी पर झूठे अनाप-शनाप आरोप लगाकर ही रास्ता निकलेगा। 22 साल हो गए वो गलतफहमी पालकर बैठे हुए हैं। मोदी पर भरोसा अखबार सुर्खियों से नहीं हुआ है, मोदी पर ये भरोसा टीवी पर चमकते चेहरों से नहीं हुआ है। जीवन खपा दिया है, पल पल खपा दिया है। देश के लिए लोगों के लिए खपा दिया है। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए खपा दिया है। -दुष्यंत कुमार तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हे यकीं नहीं। -सदन में भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसियों को बहुत कुछ कहा गया। विपक्ष के लोग इस विषय में सुर में सुर मिला रहे थे। मुझे लगता था कि देश की जनता देश के चुनाव के नतीजे ऐसे लोगों को जरूर एक मंच पर लाएगी लेकिन वो तो हुआ नहीं। लेकिन इन लोगों को ईडी का धन्यवाद करना चाहिए कि ईडी के कारण एक मंच पर आए हैं। कुछ लोगों को यहां हार्वर्ड स्टडी का बड़ा जोर है। कांग्रेस ने कहा था कि भारत की बर्बादी हार्वर्ड में स्टडी होगी। बीते वर्षों में हार्वर्ड में एक बड़ी रोचक स्टडी हुई है। द राइज एंड डिक्लाइन इंडियाज कांग्रेस पार्टी। मुझे विश्वास है कि कांग्रेस की बर्बादी पर बड़े-बड़े विश्वविद्यालय में अध्ययन होना ही होना है। -लेकिन दुर्भाग्य से मैं बहुत दिनों से कोई तो मेहनत करके आएगा, लेकिन 9 साल आलोचना नहीं आरोपों में गंवा दिए। गाली गलौच देते रहे। चुनाव हार जाओ चुनाव आयोग को गाली दे दो। कोर्ट का फैसला पक्ष में नहीं आए कोर्ट को गाली दे दो। अगर भ्रष्टाचार की जांच की हो रही है तो जांच एजेंसियों को गाली दो। अगर सेना पराक्रम करे, सेना अपना शौर्य दिखाए तो सेना को भी गाली दो। कभी आर्थिक प्रगति की खबरें आएं तो विश्व के सारे संस्थान गौरव गान करे तो आरबीआई को गाली दो। -इस बात को हिंदुस्तान हर पल याद रखेगा कि जो 2014 के पहले जो दशक था वो लॉस्ट देशक के लिए रूप में याद रखा जाएगा। 2030 का दशक इंडिया का दशक होगा। आलोचना लोकतंत्र की मजबूती के लिए है। लोकतंत्र के समर्थन के लिए है। लोकतंत्र की स्पिरिट के लिए है। आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है।-2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स हुए भारत को दुनिया को सामने प्रस्तुत करने का मौका था लेकिन फिर मौका मुसीबत में CWG घोटाले में पूरा देश बदनाम हुआ। सदी के दूसरे दशक में हिंदुस्तान की चर्चा ब्लैक आउट के नाते हुए। पूरे विश्व में ब्लैक आउट के दिन दुनिया में चर्चा के केंद्र में आ गए। कोयला घोटाला चर्चा में आ गया। 2008 के हमलों को कोई भूल नहीं सकता है, लेकिन आतंकवाद पर सीना तानकर आंख में आंख मिलाकर हमले करने का सामर्थ नहीं था। पूरे देश में लोगों का खून बहता रहा। -04-14 आजादी के इतिहास में सबसे खराब साल थे। यूपीए के वे 10 साल कश्मीर से कन्याकुमारी भारत के हर कोने में आतंकवादी हमलों का सिलसिला चलता रहा। हर नागरिक असुरक्षित था। चारों तरफ यही सूचना रहती थी कोई अनजानी चीज को हाथ मत लगाना, अनजानी चीजों से दूर रहो। 10 साल में कश्मीर से नॉर्थ ईस्ट तक हिंसा ही हिंसा फैला हुआ था। आज जब देश की क्षमता का परिचय हो रहा है, 140 करोड़ देशवासियों का सामर्थ खिलकर सामने आ रहा है, ये अवसर तो उस समय भी था। लेकिन 04-14 तक यूपीए ने वह अवसर गंवा दिया। आज यूपीए की पहचान बन गई हर मौके को मुसीबत में पलट देना। -काका हाथरसी ने कहा था कि आगा-पीछा देखकर क्यों होते गमगीन जैसी जिसकी भावना, वैसा दिखे सीन -ये निराशा भी ऐसे नहीं आई है, इसके पीछे कारण है एक तो जनता का हुक्म, बार-बार हुक्म लेकिन साथ-साथ इस निराशा के पीछे जो अंर्तमन में पड़ी हुई चीज है। जो चैन से सोने नहीं देती है। क्या है? पिछले 10 साल में 2014 के पहले 2004- 14 भारत की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई थी। 10 साल में महंगाई डबल डिजिट रही, इसलिए कुछ अगर अच्छा होता तो निराशा और उभरकर आती है। जिन्होंने बेरोजगारी दूर करने के वादे किए थे।-एक बार जंगल में दो नौजवान शिकार करने के लिए गए वो गाड़ी में बंदूक निकालकर टहलने लगे। उन्होंने सोचा था कि थोड़ा आगे चलना तो थोड़ा इंतजार कर ले। लेकिन उन्हें वहीं बाघ दिख गया। बाघ दिखा तो करें क्या तो उन्होंने बाघ को लाइसेंस दिखा दिया कि मेरे पास बंदूक का लाइसेंस है। इन्होंने भी बेरोजगारी दूर करने के लिए कानून बना दिया। -एनर्जी खपत के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है। खेल की दुनिया में भी हर स्तर पर भारत के खिलाड़ी अपना रुतबा दिखा रहे हैं। शिक्षा समेत हर क्षेत्र में आज भारत आगे बढ़ रहा है। पहली बार उच्च शिक्षा में पंजीकरण की संख्या साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा हो गया है। खेल के अंदर भारत का परचम ओलंपिक, कॉमनवेल्थ में हमारे बेटे और बेटियों ने परचम लहराया है। -दुनिया भारत की समृद्धि में अपनी समृद्धि देख रही है। निराशा में रह रहे लोग इस देश की प्रगति को स्वीकार ही नहीं कर पाते हैं। पिछले 9 वर्ष में भारत में 90 हजार स्टार्टअप, और आज स्टार्टअप की दुनिया में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। भारत के युवा सामर्थ की पहचान बनने जा रहा है। इतने कम समय और कोरोना के विकट काल में 109 यूनिकॉन बने हैं। एक यूनिकॉन का मतलब होता है, उसकी वैल्यू 6-7 हजार करोड़ से ज्यादा होती है। -डिजिटल इंडिया की चारों तरफ वाहवाही हो रही थी। पूरे तरह इसे लेकर पूछ रहे थे। कोरोना काल में समृद्ध देश अपने नागिरकों को मदद करना चाहते थे। नोटें छापते थे लेकिन वो बांट नहीं पाए थे। लेकिन ये देश है कि एक मिनट में अपने लोगों को खाते में हजारों करोड़ भेज देता है। एक समय था कि तकनीक के लिए तरसता था। आज टेक्नॉलजी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। -हमारे अड़ोस-पड़ोस में भी अस्थिर स्थिति बनी हुई है। ऐसी स्थिति में भी देश दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। आज पूरे विश्व में भारत को लेकर एक आशा है, भरोसा है। ये भी खुशी की बात है कि आज भारत को विश्व को समृद्ध देश जी-20 की अध्यक्षता का अवसर मिला है। ये देश के लिए गर्व की बात है। पर पहले मुझे लगता है कि इससे भी कुछ लोगों को दुख हो रहा है। वो आत्मनिरीक्षण करें कौन लोग हैं जिसको इसका भी दुख हो रहा है। -सदन में हंसी मजाक नोंकझोक चलती रहती हैं। राष्ट्रपति के भाषण में जो बड़ी बातें हैं वो 140 करोड़ लोगों के सेलिब्रेशन का अवसर है। 100 साल में आई भयंकर महामारी, दूसरी तरफ युद्ध की स्थिति, बंटा हुआ विश्व, इस संकट के माहौल में देश जिस प्रकार से संभला है, इससे पूरा देश आत्मविश्वास से भर रहा है, गौरव से भर रहा है। -राष्ट्रपति का भाषण हो रहा था तो कुछ लोग कन्नी काट गए। जनजाति समुदाय के प्रति नफरत भी दिखाई दी है और हमारे जनजातीय समाज के प्रति उनकी सोच क्या है। ठीक है बाद में चिट्ठी लिखकर बचने की कोशिश की गई। जब मैं राष्ट्रपति के भाषण पर चर्चा सुन रहा था। तब मुझे लगा कि बहुत से भाषण को मौन रहकर स्वीकर किया गया। राष्ट्रपति के भाषण के प्रति किसी को ऐतराज नहीं है।-राहुल पर तंज कसते हुए पीएम ने कहा कि पूरा इकोसिस्टम उछल रहा था। कुछ लोग तो कह रहे थे कि ये हुई न बात। कुछ लोगों को नींद भी नहीं आई। कुछ तो अभी तक सो रहे होंगे। ये कह कहकर हम दिल को बहला रहे हैं। वो अब चल चुके हैं। वो अब आ रहे हैं। -सब लोगों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर रुचि, प्रकृति और प्रवृति के अनुसार अपनी बातें रखी। इन बातों को गौर से सुनते हैं समझने का प्रयास करते हैं तो ये भी ध्यान में आता है कि किसकी क्षमता है, किसकी कितनी योग्यता है। किसकी किनती समझ है और किसका क्या इरादा है। -मैं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव करने का अवसर मिला है। इस बार में धन्यवाद के साथ-साथ राष्ट्रपति महोदया का अभिनंदन भी करना चाहता हूं। अपने विजनरी भाषण में राष्ट्रपति ने हम सबका और करोड़ों देशवासियों का मार्गदर्शन किया है। आदिवासी समाज में जो गौरव की अनुभूति हो रही है, उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।