कर्नाटक हाई कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि लड़ाई-झगड़े के दौरान किसी के अंडकोष को दबाना ‘हत्या का प्रयास’ नहीं माना जा सकता है। यह निर्णय ट्रायल कोर्ट के फैसले के विपरीत है, जिसने ऐसी घटना के संबंध में गंभीर चोट पहुंचाने के लिए 38 वर्षीय व्यक्ति को दोषी ठहराया था। साथ ही हाई कोर्ट ने आरोपी की सजा को सात साल कैद से घटाकर तीन साल कर दिया है। 38-वर्षीय आरोपी को निचली अदालत द्वारा सात साल कैद की सज़ा सुनाई गई थी। इसे भी पढ़ें: DERC के अध्यक्ष के रूप में HC के पूर्व न्यायाधीश उमेश कुमार की नियुक्ति के खिलाफ SC जाने की तैयारी में है AAPक्या है मामलापीड़ित ओंकारप्पा की शिकायत में कहा गया है कि वह और अन्य लोग गांव के मेले के दौरान नरसिंहस्वामी जुलूस के सामने नृत्य कर रहे थे, तभी आरोपी परमेश्वरप्पा मोटरसाइकिल से वहां आया और झगड़ा करने लगा। इसके बाद हुई लड़ाई के दौरान, परमेश्वरप्पा ने ओंकारप्पा के अंडकोष को दबोच लिया, जिससे उसे गंभीर चोट आई। पुलिस पूछताछ और सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई। चिक्कमगलुरु जिले के मुगलिकटे गांव के निवासी परमेश्वरप्पा ने चिक्कमगलुरु में निचली अदालत की सजा को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। यह घटना 2010 की है। निचली अदालत ने 2012 में परमेश्वरप्पा को दोषी ठहराया था, जिसके खिलाफ दायर की गयी अपील का उच्च न्यायालय द्वारा निपटारा कर दिया गया।हाई कोर्ट ने क्या कहाहाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा कि आरोपी का पीड़ित की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था और पीड़ित को चोट झगड़े के दौरान लगी थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच मौके पर झगड़ा हुआ था। उस झगड़े के दौरान, आरोपी ने शिकायतकर्ता का अंडकोष दबोचने का चयन किया। इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी हत्या करने के इरादे से या तैयारी के साथ आया था। अगर उसने (आरोपी ने) हत्या की तैयारी की होती या हत्या का प्रयास किया होता तो वह इसके लिए अपने साथ कुछ घातक हथियार ला सकता था। अदालत ने कहा कि आरोपी ने पीड़ित को गंभीर चोट पहुंचाई है और इसके कारण पीड़ित की मृत्यु हो सकती थी, लेकिन आरोपी का इरादा ऐसा कतई नहीं था। इसे भी पढ़ें: लुका-छिपी का खेल बंद करिये : बंबई उच्च न्यायालय ने वानखेड़े से जुड़े मामले में कहान्यायमूर्ति का बयानन्यायमूर्ति के नटराजन ने अपने हालिया फैसले में कहा है, यद्यपि आरोपी ने शरीर के महत्वपूर्ण अंग ‘अंडकोष’ को दबोचने का निर्णय लिया, जो मौत का कारण बन सकता है। (इस घटना के बाद) घायल को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी सर्जरी भी की गई और अंडकोष को हटा दिया गया, जो एक गंभीर जख्म है। इसलिए, मेरी नजर में, यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी ने कुत्सित इरादे या तैयारी के साथ हत्या का प्रयास किया था। आरोपी द्वारा पहुंचाई गई चोट भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 324 के तहत अपराध की श्रेणी में आएगी, जो शरीर के महत्वपूर्ण ‘गुप्तांग’ को चोटपहुंचाने से संबंधित है।’’