मंत्री सेंथिल को बर्खास्त कर राज्यपाल रवि ने संविधान के अनुरूप कार्य नहीं किया : द्रमुक

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने शुक्रवार को कहा कि मंत्री को मंत्रिमंडल में शामिल करने या हटाने का विशेषाधिकार संविधान के तहत मुख्यमंत्री के पास होता है और उन्होंने मंत्री सेंथिल बालाजी को हटाकर संविधान के अनुरूप कार्य नहीं किया। पार्टी ने कहा कि उन्हें यह कदम अंतत: वापस लेना पड़ा।
द्रमुक के राज्यसभा सदस्य और नामी वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने कहा कि संवैधानिक प्रावधान स्पष्ट करते हैं कि राज्यपाल के पास मंत्री को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
जब उनसे पूछा गया कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को लिखे पांच पन्नों के पत्र में अपने कदम का बचाव करते हुए अनुच्छेद-154 (राज्य के कार्यकारी अधिकार), अनुच्छेद-163 (मंत्रिपरिषद द्वारा राज्यपाल की सहायता और सलाह) और अनुच्छेद-164 (मंत्री के तौर पर अन्य प्रावधान)का हवाला दिया है तो विल्सन ने कहा कि रवि ने संविधान के तहत कार्य नहीं किया।उन्होंने कहा, ‘‘उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्या उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन किया? उन्होंने संविधान के अनुरूप कार्य नहीं किया। उच्चतम न्यायालय ने स्वयं कई मौकों पर फैसला दिया है कि राज्यपाल का निर्णय तब तक वैध नहीं होगा जबतक मंत्रिपरिषद उनकी सहायता न करे या सलाह न दे।’’
विल्सन ने कहा, ‘‘मंत्रियों को नियुक्त करने या हटाने के संबंध में ‘विशेषाधिकार’ (अनुच्छेद 164) मुख्यमंत्री में निहित है और उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसलों में इसे रेखांकित किया है।’’
उन्होंने कहा कि सेंथिल बालाजी के खिलाफ केवल जांच चल रही है और इससे वह अयोग्य नहीं ठहराए जा सकते। उच्चतम न्यायालय ने लिली थॉमस बनाम भारत संघ औरमनोज नरुला बनाम भारत संघ मामलों में बहुत साफ तौर पर कहा है।’’
तमिलनाडु के वित्तमंत्री थंगम थेनारासु ने बृहस्पतिवार को बालाजी को ‘बर्खास्त’ करने के लिए राजभवन से जारी राज्यपाल की विज्ञप्ति का हवाला देते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि कैसे वह व्यक्ति जांच को प्रभावित कर सकता हैं जो न्यायिक हिरासत में है।राज्य के कानून मंत्री एस रघुपति ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सेंथिल बालाजी बिना विभाग के मंत्री हैं और दावा किया कि उन्हें जांच में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘ कई केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ मामले हैं और वे मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं। सेंथिल बालाजी तो बिना विभाग के मंत्री हैं।