नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने किसानों के साथ आगे की चर्चा करने की इच्छा जताई है। हालांकि, सरकार ने किसानों से लगातार अपनी मांगों की सूची में नए मुद्दे जोड़ने से बचने का आग्रह किया है। सरकार ने किसानों को कुछ ऐसे तत्वों की संभावित संलिप्तता के बारे में भी आगाह किया है जो राजनीतिक लाभ के लिए उनके विरोध-प्रदर्शन को बदनाम करना चाहते हैं। कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि चंडीगढ़ में हुई दो दौर की चर्चा के दौरान किसानों की कई मांगों पर सहमति बनी। हालांकि, कुछ मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बन पाई और बातचीत अभी भी जारी है। सरकार ने कुछ मांगों को पूरा करने के लिए पहले ही कदम उठाए हैं, जैसे कि पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेना।नए-नए मुद्दे जुटने से नहीं हो पाता है समाधानसूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक बयान में जोर देकर कहा कि लगातार नए मुद्दों को जोड़ने से मौजूदा विरोध का तत्काल समाधान बाधित होता है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से भारत के अलग होने, मुक्त व्यापार समझौतों को समाप्त करने, पराली जलाने के मुद्दे से बाहर करने और कृषि को जलवायु मुद्दे से छूट देने जैसे मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए अन्य हितधारकों और राज्यों के साथ चर्चा की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार ने एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है।बातचीत से प्रदर्शनकारी ही हटे थे पीछेठाकुर ने आगे बताया कि सरकार ने पिछले एक दशक में किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं और चर्चा के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि सरकार ने नहीं बल्कि प्रदर्शनकारियों ने पहले बातचीत छोड़ी थी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने जुलाई 2022 में पिछले दौर के विरोध के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रभावशीलता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए गठित एक समिति में प्रतिनिधियों को नामित नहीं किया था।किसानों की प्रमुख मांगें जान लीजिए16 फरवरी को ‘ग्रामीण भारत बंद’ से पहले एसकेएम ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 21 सूत्रीय मांगों के चार्टर पर चर्चा शुरू करने के लिए उनके हस्तक्षेप का अनुरोध किया है। कुछ प्रमुख मांगों में C2+50% फॉर्मूले का उपयोग करके सभी फसलों की खरीद के लिए कानूनी गारंटी, कृषि ऋण माफी, बिजली शुल्क में कोई वृद्धि नहीं, 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, कोई स्मार्ट मीटर नहीं, व्यापक फसल बीमा, 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा और किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन शामिल हैं।