नई दिल्ली : सरकारी कर्मचारियों में (Old Pension Scheme) की बढ़ती डिमांड के मद्देनजर केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। यह चुनावी मुद्दा बन रहा है और कई राज्यों में असेंबली चुनाव इस साल होंगे, फिर 2024 में आम चुनाव हैं। इससे पहले सरकार और पेंशन रेगुलेटर के अंदर तीन उपायों पर मंथन चल रहा है। इस मामले में एक उपाय यह है कि ओल्ड पेंशन की तरह लास्ट सैलरी की आधी रकम तक पेंशन तो मिले, लेकिन उसके लिए कर्मचारी से योगदान लिया जाए। इस तरह की स्कीम आंध्र प्रदेश में चलाई जा रही है। सरकार और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हो चुकी है।एनपीएस में भी तय हो न्यूनतम पेंशनदूसरा उपाय यह है कि मौजूदा एनपीएस (NPS) में ही न्यूनतम पेंशन तय कर दी जाए। एनपीएस को लेकर शिकायत यह है कि इसमें कर्मचारी का योगदान तय है, लेकिन रिटर्न तय नहीं है। इस पर काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन बोर्ड की मंजूरी बाकी है। हालांकि, संकेत मिल रहे हैं कि इसमें न्यूनतम रिटर्न 4 से 5 फीसदी हो सकता है, जिसे बेहद कम समझा जाएगा। गारंटी के कारण लागत बढ़ जाएगी। वैसे बाजार ने बेहतर रिटर्न दिया तो न्यूनतम रिटर्न से 2-3 पर्सेंट ज्यादा तक पेंशन मिल सकती है। इसके अलावा मौजूदा एनपीएस में मच्योरिटी की 60 फीसदी रकम कर्मचारी के हाथ में चली जाती है। अगर ये पैसा भी पेंशन में लग जाए, तो पेंशन की रकम बढ़ जाएगी।सबको न्यूनतम पेंशन की गारंटीतीसरा उपाय यह है कि अटल पेंशन योजना की तरह सबको न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाए। PFRDA फिलहाल यह योजना चला रही है, जिसमें योगदान के आधार पर 1000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की पेंशन तय है। PFRDA अटल पेंशन योजना का दायरा सभी के लिए बढ़ाने और 5000 रुपये की लिमिट खत्म करने के लिए तैयार हो सकती है, बशर्ते गारंटी में किसी वित्तीय कमी की स्थिति में सरकार मदद का जिम्मा ले। तीनों उपायों पर विचार करने का जिम्मा PFRDA के पास ही है, लेकिन मुश्किल यह है कि फिलहाल इसके नए चेयरमैन की नियुक्ति का इंतजार है। पिछले चेयरमैन का कार्यकाल हाल ही में पूरा हो गया। नए चेयरमैन की नियुक्ति के बाद इस पर काम तेजी से बढ़ सकता है।