भारतीय टीम को अभी 100 और रनों की जरूरत है और सभी उम्मीदें ऋषभ पंत के साथ श्रेयस अय्यर पर टिकी हैं। पंत और अय्यर ने पहली पारी में अर्धशतकीय पारी खेली थी। हालांकि भारतीय फैंस को डर सता रहा है। टीम इंडिया टेस्ट में इससे छोटे लक्ष्य का पीछा करते हुए मुकाबला हार चुकी है। उस टीम में सचिन तेंदुलकर से लेकर राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जैसे खिलाड़ी थे।
120 रन चेज नहीं कर पाई थी टीम
1997 में टीम इंडिया वेस्टइंडीज के दौरे पर थी। 4 मैचों की टेस्ट सीरीज का तीसरा मुकाबला ब्रिजटाउन में खेला गया। वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 298 रन बनाए। शिवनारायण चंद्रपाल के बल्ले से 137 रनों की पारी निकली थी। भारत ने अपनी पहली पारी में 319 रन बनाकर 21 रनों की बढ़त हासिल कर ली। कप्तान सचिन तेंदुलकर ने 92 और द्रविड़ ने 78 रनों की पारी खेली।
भारतीय गेंदबाजों ने दूसरी पारी में वेस्टइंडीज को 140 रनों पर समेट दिया। ब्रायन लारा ने 45 रनों की पारी खेली। अबे कुरुविला ने 5 जबकि वेंकटेश प्रसाद ने 3 विकेट लिये थे। भारत को जीत के लिए 120 रनों का लक्ष्य मिला। दिग्गज बल्लेबाजों से भरी टीम इंडिया की पारी 81 रनों पर सिमट गई। 10 बल्लेबाज दहाई के आंकड़े को भी नहीं छू पाए। वीवीएस लक्ष्मण ने सबसे ज्यादा 19 रन बनाए थे। इसे भारतीय टीम की सबसे शर्मनाक हार में गिना जाता है।
दो दिन तक कमरे में बंद थे सचिन
इस बार के बाद कप्तान सचिन तेंदुलकर ने खुद को दो दिनों तक कमरे में बंद रखा था। उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी में भी इस मैच का जिक्र किया था। सचिन ने अपनी किताब में इस हार के बारे में लिखा है, ’31 मार्च 1997 भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे काला दिन था। सच में उस हार के लिए कोई दलील नहीं दी जा सकती। मैं हार के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहता। टीम का हिस्सा और कप्तान होने के लिए मैं पूरी तरह से उस हार के जिम्मेदार था। इस हार में पूरी तरह टूट चुका था और मैंने अपने आप को दो दिनों तक कमरे में बंद कर लिया था।’